बॉम्बे हाईकोर्ट: बांद्रा में कब्रिस्तान के लिए आरक्षित भूखंड के सीमांकन की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

  • बांद्रा में कब्रिस्तान के लिए आरक्षित 9 हजार वर्ग मीटर के भूखंड का मामला
  • एमएसआरडीसी और बीएमसी को संयुक्त मापन एवं सीमांकन कर रिपोर्ट सौंपने का दिया निर्देश
  • झोपड़ी धारकों के विरोध के कारण आरक्षित भूखंड का मापन और सीमांकन नहीं होने का एमएसआरडीसी ने किया दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-14 15:21 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बांद्रा में कब्रिस्तान के लिए आरक्षित 9 हजार वर्ग मीटर के भूखंड को मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमएसआरडीसी) को संयुक्त मापन एवं सीमांकन कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। अदालत ने एमएसआरडीसी को इस साल 27 मार्च दिए आदेश पर अमल नहीं करने पर फटकार लगाई। 30 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष मोहम्मद फुरकान मोहम्मद अली कुरैशी की ओर से वकील नसीम अहरार शेख की दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान एमएसआरडीसी के वकील डॉ.मिलिंद साठे ने कहा कि बांद्रा (प.) में मुस्लिम, ईसाई के लिए कब्रिस्तान और हिन्दू के लिए श्मशान घाट बनाने के लिए आरक्षित 9 हजार वर्ग मीटर के भूखंड के कुछ हिस्से पर झोपड़ी धारकों ने कब्जा कर रखा है। अदालत के आदेश पर एमएसआरडीसी की टीम अरक्षित भूखंड पर मापन और सीमांकन करने गई, तो झोपड़ी धारकों ने उनका कड़ा विरोध किया। इसके कारण आरक्षित भूखंड का मापन और सीमांकन नहीं हो सका।

इस पर बीएमसी की ओर से पेश वकील ए.वाई.सखारे ने दलील दी कि एमएसआरडीसी के सर्वेक्षण के समय बीएमसी के अधिकारी मौजूद नहीं थे, क्योंकि एमएसआरडीसी द्वारा सर्वेक्षण की तारीख की कोई सूचना बीएमसी को नहीं दी गई थी। इस पर पीठ ने बीएमसी और एमएसआरडीसी को कब्रिस्तान के रूप में आरक्षित भूखंड का संयुक्त सर्वे और सीमांकन करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने नगर सर्वेक्षण अधिकारी को एमएसआरडीसी को अपना पूरा सहयोग प्रदान करने और माप एवं सीमांकन के आधार पर कब्रिस्तान के लिए आरक्षित भूखंड को 4 सप्ताह के भीतर झोपड़ी धारकों से समझौतों और उन्हें मुआवजे देकर बीएमसी को सौंप दिया जाएगा।

याचिकाकर्ता के वकील नसीम अहरार शेख ने दलील दी कि बांद्रा पश्चिम में 100 से अधिक सुन्नी मुस्लिम परिवार रहता है, जिसे अपने परिवार में मृत्यु होने पर लाश को दफनाने के लिए रेलवे लाइन क्रास कर बांद्रा (पूर्व) जाना पड़ता है। अदालत के आदेश के बाद भी एमएसआरडीसी द्वारा कब्रिस्तान के लिए बीएमसी को आरक्षित भूखंड नहीं सौंपा गया है। अदालत से जल्द से जल्द कब्रिस्तान समाज को सौंपने का अनुरोध किया गया है।

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