बॉम्बे हाईकोर्ट: बुलढाणा में फूड प्वाइजनिंग मामले में सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश
- 150 मरीजों को पास के 30 बिस्तरों वाले बीबी अस्पताल के बाहर सड़क पर इलाज करने का आरोप
- फूड प्वाइजनिंग से बीमार लोगों के इलाज के लिए की गई थी अस्थायी व्यवस्था
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुलढाणा में फूड प्वाइजनिंग मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। बुलढाणा में एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रसाद खाने के बाद फूड प्वाइजनिंग से 150 लोग बीमार हो गए थे, जिन्हें रस्सियों पर लटकाई गई बोतलों से सलाइन देने का मामला सामने आया है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष स्वत: संज्ञान (सुमोटो) जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
इस दौरान वकील मोहित खन्ना ने स्थिति की गंभीरता और बुनियादी ढांचे की समस्या का हवाला देते हुए कहा कि बुलढाणा में एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रसाद खाने से बीमार मरीजों का इलाज अस्पताल के बाहर किया गया और उन्हें रस्सियों पर लटकाई गई बोतलों से सलाइन दी गई। इस पर सरकारी वकील पीपी काकड़े ने कहा कि यह एक आपातकालीन स्थिति थी और फूड प्वाइजनिंग से बीमार 150 लोगों को बी.बी.अस्पताल में लाया गया था। जबकि अस्पताल में 30 बिस्तरों की व्यवस्था थी। बिस्तरों की कमी के कारण उन्हें अस्थायी व्यवस्था में अस्पताल के बाहर उपचार दिया गया। इसमें से कुछ और मरीजों को पास के मेहतर अस्पताल और लोनार अस्पताल भेजा गया था।
काकडे ने कहा कि अस्पतालों में सभी आवश्यक दवाएं थीं, लेकिन बिस्तरों की कमी के कारण मरीजों का इलाज नहीं किया जा सका। यह कोई गंभीर बीमारी नहीं थी और पेट की बीमारी थी। सभी मरीजों को अगली सुबह तक छुट्टी दे दी गई। खंडपीठ ने पूछा कि जहां घटना घटी वहां से जिला अस्पताल कितनी दूर है? क्या आप उन्हें वहां नहीं ले जा सकते? अगर ऐसी स्थिति हो जहां मरीज गंभीर बीमारियों से पीड़ित हों तो क्या होगा? इस पर काकडे पीठ ने कहा कि जिला अस्पताल 100 किलोमीटर दूर है। हम उन्हें बड़े अस्पताल में ले जा सकते थे। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में उचित प्राधिकारी की ओर से 10 दिनों के भीतर एक हलफनामा दिया जाए। इसके बाद इसके बाद मामले की सुनवाई करेगी।