बॉम्बे हाईकोर्ट: राज्य की जेलों में ई-मुलाकात और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं के बारे में मांगी जानकारी

  • राज्य भर के कोर्ट रूमों और जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं
  • मुद्दे पर सुमोटो याचिका पर सुनवाई
  • 14 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-07 16:23 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से राज्य भर की जेलों और कोर्ट में ई-मुलाकात और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी है। अदालत ने पिछले छह महीनों में जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कितने आरोपियों को अदालतों में पेश किया गया और कितने को शारीरिक रूप से पेश किया गया, इसके भी आंकड़े मांगे हैं। ई-मुलाकात सुविधा कैदियों को अपने परिवारों को वीडियो कॉल करने की अनुमति देती है। 14 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है।

न्यायमूर्ति भारती डांगरी की एकल पीठ के समक्ष राज्य भर के कोर्ट रूम और जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के मुद्दे पर सुमोटो(स्वत: संज्ञान) सुनवाई हुई। यह मामला त्रिभुवन सिंह यादव नामक व्यक्ति द्वारा दायर जमानत याचिका में उठाया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि निचली अदालत में उनकी जमानत याचिका 23 मौकों पर स्थगित कर दी गई थी, क्योंकि उन्हें अदालत में शारीरिक रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश नहीं किया गया था।

पीठ ने पहले कहा था कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराना चाहिए कि राज्य भर की सभी जेलों और अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा हो, जिससे आरोपियों को अदालत में वर्चुअल रूप से पेश किया जा सके। पीठ ने 2 अगस्त को राज्य सरकार द्वारा पेश एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें जिला अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कैमरे सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला गया था। रिपोर्ट के अनुसार आज तक 1406 अदालतों को ऑडियो और वीडियो इंटरफेस प्रदान नहीं किया गया है।

पीठ ने सरकार को ठाणे, आर्थर रोड जेल और मुंबई में भायखला महिला जेल, नवी मुंबई में तलोजा जेल, अधरवाड़ी (कल्याण), यरवदा (पुणे), कोल्हापुर और नासिक की जेलों से आंकड़े प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि पिछले छह महीनों में कितने आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया है और कितनी शारीरिक पेशियां हुई हैं। पीठ ने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इन जेलों में ई-मुलाकात की सुविधा किस हद तक उपलब्ध कराई गई है

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