उम्मीद : आखिरकार शुरू हुआ प्रोटॉन थेरेपी से कैंसर मरीजों का इलाज, पहले दिन दो मरीजों को मिली राहत
- शुरू हुआ प्रोटॉन थेरेपी से कैंसर मरीजों का इलाज
- दो मरीजों को मिली राहत
- 60 % कैंसर के रोगियों को मुफ्त इलाज मिलेगा
- 40 % को भी मिलेगी काफी छूट
- चेन्नई के अपोलो अस्पताल में 20 लाख रुपए खर्च होते हैं
डिजिटल डेस्क, मुंबई मोफीद खान. टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर मरीजों के लिए एक बडी राहत भरी खबर आई है। कैंसर के इलाज के लिए उन्नत तकनीक प्रोटॉन थेरेपी की शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर की गई है। पहले दिन प्रोटॉन थेरेपी से हड्डियों के विभिन्न कैंसर से पीड़ित दो मरीजों का इलाज किया गया। पब्लिक सेक्टर में इस तरह की सुविधा शुरू करनेवाला टाटा मेमोरियल अस्पताल देश का पहला अस्पताल बन गया है। फिलहाल देश में निजी क्षेत्र में यह सुविधा चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उपलब्ध है। यहां इस सुविधा के लिए कम से कम 20 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। यहां 60 फीसदी कैंसर के रोगियों को मुफ्त में अत्याधुनिक प्रोटॉन बीम उपचार दिया जाएगा। वहीं, अन्य 40 फीसदी लोगों को भी काफी छूट मिलेगी। टाटा मेमोरियल सेंटर के उपनिदेशक और प्रोटॉन सेंटर के प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ लश्कर ने बताया कि निदेशक डॉ. राजेन्द्र बड़वे और खारघर अक्ट्रेक के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता के प्रयासों से यह सुविधा शुरू हो पाई है।
विशेषज्ञों की टीम लेगी निर्णय
पहले दिन जिन दो कैंसर मरीजों को प्रोटॉन बीम दी गई है, उनमें से एक मरीज इवन सार्कोमा और दूसरा मरीज कार्डोमा कैंसर से पीड़ित है। दोनों ही मरीज वयस्क हैं। डॉ. लश्कर ने बताया कि सभी मरीजों को प्रोटॉन की जरूरत नहीं होती है। किन मरीजों को प्रोटोन दिया जाना है, यह अस्पताल के विशेषज्ञों की टीम तय करती है। दुनिया भर में 39 प्रोटॉन केंद्र हैं। अब इस बात के प्रमाण हैं कि प्रोटॉन थेरेपी ब्रेस्ट, एसोफीगस (अन्न प्रणाली), गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, गायनोकोलॉजिकल, सिर और गर्दन, लिवर, लंग, पैंक्रियाज, प्रोस्टेट, और स्पाइन में होने वाले कैंसर में कारगर है। हालांकि, सभी कैंसर रोगियों को प्रोटॉन बीम थेरेपी की आवश्यकता नहीं होती है।
पूरी प्रक्रिया में लगेंगे 30 मिनट
प्रोटॉन थेरेपी प्रक्रिया के लिए एक मरीज पर करीब 30 मिनट का समय लगेगा। हालांकि एक मरीज को रेडिएशन बीम महज 2 मिनट का दिया जाएगा। लेकिन बीम कितने एंगल से देना है। इसके लिए मरीज को उस दिशा में लाने के लिए 15 से 20 मिनट का समय लगेगा।
कोरोना भी नहीं रोक पाया काम
प्रोटॉन बीम थेरेपी की मशीन उपलब्ध करनेवाली कंपनी आईबीए इंडिया के निदेशक राकेश पाठक ने बताया कि लगभग 6 महीने से भी कम समय में 1100 टन उपकरण स्थापित किए गए थे। मशीन बेल्जियम से लाई गई थी और इसे 65 हजार वर्ग फुट की स्टैंडअलोन बिल्डिंग में स्थापित किया गया।
क्या है प्रोटॉन थेरेपी
यह दुनिया की सबसे उन्नत विकिरण चिकित्सा उपचार सुविधा है। प्रोटॉन बीम को मरीज़ के कैंसर वाली जगह पर भेजा जाता है और कैंसर को खत्म किया जाता है। प्रोटॉन थेरेपी में सिर्फ कैंसर पर ही आघात होता है, जिससे इसके कोई साइड-इफेक्ट नहीं होते हैं।
डॉ. सिद्धार्थ लश्कर, उपनिदेशक- टाटा मेमोरियल सेंटर और प्रोटॉन सेंटर प्रमुख के मुताबिक दोनों मरीजों पर सर्जरी संभव नहीं थी। इसलिए इन मरीजों को प्रोटॉन बीम दिया गया। फिलहाल 6 से 7 मरीजों का चयन प्रोटॉन बीम के लिए किया गया है, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से प्रोटॉन बीम दिया जाएगा।