बॉम्बे हाईकोर्ट: डेढ़ साल के बच्चे की तस्करी के आरोपी एचआईवी पॉजिटिव समलैंगिक व्यक्ति को जमानत

  • समलैंगिक समाज के जेल में असुरक्षित होने का अदालत ने दिया हवाला
  • सामाजिक और जेल में संभावित उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता की समलैंगिक स्थिति पर भी विचार किया गया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 17:02 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने डेढ़ साल के बच्चे की तस्करी के आरोपी एचआईवी पॉजिटिव समलैंगिक व्यक्ति को जमानत दे दी। अदालत ने माना कि धारा 370 आईपीसी के तहत अपराध के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है, लेकिन सामाजिक और जेल में संभावित उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता की समलैंगिक स्थिति पर भी विचार किया गया। ऐसे समुदाय से संबंधित व्यक्ति असुरक्षित हैं और कुछ स्थितियों में उनका उपहास किया जा सकता है। अदालत द्वारा इसकी अनदेखा नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति मनीष पिताले की एकल पीठ ने समलैंगिक व्यक्ति की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अदालत की राय है कि समलैंगिक समुदाय से संबंधित व्यक्ति जो एचआईवी पॉजिटिव भी है, उसे ऐसे व्यक्तियों की श्रेणी में रखा जा सकता है, जो वास्तव में जेल में असुरक्षित हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता की एचआईवी-पॉजिटिव स्थिति और आपराधिक पृष्ठभूमि की अनुपस्थिति पर भी ध्यान दिया। न्यायिक हिरासत में एक महीने से अधिक समय तक रहने और जांच के दौरान कथित राशि की बरामदगी को देखते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को एक असुरक्षित व्यक्ति माना और उसे 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।

अदालत ने याचिकाकर्ता को नाबालिग बच्चे और उसके माता-पिता से संपर्क करने से मना किया है। अदालत ने कहा कि जमानत की शर्तों का कोई भी उल्लंघन जमानत को रद्द करने का कारण बन सकता है। 26 मई 2024 को याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 370 (व्यक्तियों की तस्करी) के साथ धारा 34 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 80 और 81 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की पूछताछ में याचिकाकर्ता ने बताया कि वह एक बच्चे को गोद लेना चाहता था। उसने माता-पिता को 4 लाख 50 हजार रुपए डेढ़ साल के बच्चे को लिया था। वह एक बच्चे की देखभाल करना चाहते थे, लेकिन वर्तमान भारतीय कानूनों के कारण कानूनी रूप से गोद लेने में असमर्थ था।

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