सुप्रीम कोर्ट: उद्धव की याचिका पर सुनवाई फिर बढ़ी, गणपति विसर्जन जुलूस को लेकर एनजीटी के आदेश पर रोक
- शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को सौंपने का मामला, अब 21 अक्टूबर को होगी
- सुप्रीम कोर्ट ने गणपति विसर्जन जुलूस को लेकर एनजीटी के आदेश पर लगाई रोक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह धनुष-बाण एकनाथ शिंदे गुट को सौंपने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर 17 सितंबर को होने वाली सुनवाई और एक महीना आगे बढ़ गई है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अगले महीने 21 अक्टूबर को होगी। मामले की सुनवाई लगातार आगे बढने और तारीख पे तारीख मिलने से इसकी संभावना कम दिखाई दे रही है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले इस पर कोई फैसला आएगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले पिछले साल 21 फरवरी को याचिका पर सुनवाई हुई थी। इसके बाद 11 जुलाई और फिर उद्धव ठाकरे गुट द्वारा मामले पर जल्द सुनवाई का अनुरोध करने पर इसे 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। जुलाई के बाद मामले की सुनवाई लगातार आगे बढ़ रही है। 17 सितंबर 2024 को इस पर सुनवाई होनी थी, लेकिन फिर यह मामला एक महीने आगे बढ़ गया, जिस पर अब 21 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। मामले से जुड़े वकील सिद्धार्थ शिंदे के अनुसार इस मामले में अब तक दोनों पक्षकारों की तरफ से कोई दलीलें नही रखी गई है। इसलिए संभव है कि मामले में 21 अक्टूबर के बाद और नई तारीख मिल सकती है और तब तक विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई होगी। सीजेआई 8 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे है और मामले में कोई प्लीडिंग्स नहीं होने के कारण इसे दूसरी बेंच को भी रेफर किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने गणपति विसर्जन जुलूस को लेकर एनजीटी के आदेश पर लगाई रोक
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (पश्चिमी क्षेत्र) पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें पुणे में गणपति विसर्जन जुलूस में शामिल होने वाले समूहों में लोगों की संख्या 30 तक सीमित कर दी थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से याचिकाकर्ता ने एनजीटी के निर्देश के खिलाफ दायर अपील पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। क्योंकि विसर्जन 17 सितंबर को होना है। मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अमित पाई ने दलील दी कि गणेश उत्सव का पुणे के लिए गहरा सांस्कृतिक महत्व है। एनजीटी के निर्देश से गणपति उत्सव के दौरान ढोल-ताशा बजाने वाले ट्रूप्स पर गंभीर असर पडेगा। वकील ने कहा कि जुलूस के दौरान लोगों की संख्या कैसे सीमित की जा सकती है। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने एनजीटी के निर्देश के खिलाफ दायर अपील पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया और एनजीटी द्वारा 30 अगस्त को पारित आदेश पर रोक लगा दी। इस दौरान सीजेआई ने मुस्कराते हुए कहा, उन्हें अपना ढोल-ताशा बजाने दें। गौरतलब है कि एनजीटी ने ढोल-ताशा-जंज समूहों की कुल संख्या को प्रति समूह केवल 30 तक सीमित करने के साथ-साथ प्रत्येक गणेश पंडाल के आसपास ध्वनि प्रदूषण की वास्तविक समय निगरानी और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था।