हाईकोर्ट: मराठों को कुणबी प्रमाण पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 20 फरवरी तक टली
- अदालत ने राज्य के महाधिवक्ता को पार्टी बनाए जाने से जताई नाराजगी
- मराठा आरक्षण समर्थक ने कैविएट किया दाखिल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मराठों को कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने के राज्य सरकार के कदम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई 20 फरवरी तक टल गई। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील आशीष मिश्रा से पूछा कि याचिका में महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को पार्टी क्यों बनाया? इस पर मिश्रा ने कहा कि महाधिवक्ता सराफ को मराठा आरक्षण पर परामर्श लिया गया था, इसलिए उन्हें पार्टी बनाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष मंगेश ससाने के वकील आशीष मिश्रा को जनहित याचिका (पीआईएल) पर तत्काल सुनवाई हुई। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका से महाधिवक्ता का नाम हटाने का निर्देश दिया।
इस मामले में शिवसंग्राम के जिला अध्यक्ष वसंत सालुंखे ने कैविएट याचिका फाइल किया, तो अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया। जनहित याचिका में दावा किया गया कि राज्य सरकार मराठा समुदाय के सदस्यों को कुणबी जाति प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को पिछले दरवाजे से खा रही