बेहतर स्वास्थ्य की पहल: प्रदेश के दो करोड़ बच्चों और किशोरों की हुई स्वास्थ्य जांच, जहारों को जीवनदान

  • 18 साल के कम आयु वर्ग के बच्चों की जांच का कार्यक्रम
  • राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 3,334 बच्चों की हृदय सर्जरी कर दिया गया जीवनदान
  • बच्चों में पाई गई अन्य बीमारियों के लिए हुई 32,801 सर्जरी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-21 23:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य एवं विकास के लिए क्रियान्वित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से वर्षभर में प्रदेश के 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लगभग 2 करोड़ बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य की जांच की गई। इसके साथ ही 3,334 बच्चों की हृदय की सर्जरी कर उन्हें जीवनदान दिया गया है। इसके अलावा अन्य बीमारियों के लिए 32,801 सर्जरी की गई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों-किशोरों में जन्मजात विकृतियों, बीमारियों, विटामिन की कमी से होने वाली बीमारियों और विकलांगता आदि की जांच की जाती है। इसे लेकर मार्च 2023 से मार्च 2024 तक प्रदेश के 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लगभग 2 करोड़ बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई है।

साल में दो बार जांच, नि:शुल्क उपचार

स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की साल में दो बार आंगनवाड़ी स्तर पर जांच की जाती है। इसके अलावा सरकारी और अर्धसरकारी स्कूलों में भी 6 से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों-किशोरों की जांच की जाती है। इस स्वास्थ्य जांच के दौरान उनमें पाई जानेवाली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उचित रेफरल सेवाएं और सभी प्रकार की चिकित्सा और सर्जरी निःशुल्क किए जाते हैं।

इस तरह हुई इतने बच्चों की जांच

इस कार्यक्रम के तहत 2023 से मार्च 2024 तक आंगनवाड़ी स्तर पर 0 से 6 वर्ष के बच्चों की दो बार जांच की गई है। पहले दौर में 63,45,047 और दूसरे दौर में 67,40,071 बच्चों की जांच की गई है। स्कूल स्तर पर, इसी अवधि के दौरान 1,22,06,627 बच्चों-किशोरों की जांच की गई। इस जांच में हृदय दोष से पीड़ित पाए गए 3,334 बच्चों की हृदय सर्जरी और 32,801 बच्चों की अन्य सर्जरी की गई।

34 जिलों में कार्यक्रम लागू

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक अप्रैल 2013 से प्रदेश के 34 जिलों में लागू किया गया है। हर तहसील में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीमें नियुक्त की गई हैं और इन टीमों का मुख्यालय ग्रामीण अस्पताल या संबंधित उपजिला अस्पताल, जिला अस्पताल हैं। सभी टीम को एक वाहन, दो चिकित्सा पदाधिकारी, एक औषधि निर्माण पदाधिकारी, एक एएनएम, जांच सामग्री आदि उपलब्ध करायीई गई है। शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के समन्वय से स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम का गांववार कार्यक्रम तैयार किया जाता है और प्रत्येक टीम को एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार जांच करनी होती है।

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