परेशानी: सरकारी अस्पतालों में दवाई आपूर्ति करनेवाले हाफ़कीन महामंडल के पास नहीं है स्थायी प्रबंध निदेशक

  • 6 वर्षों में 14 प्रबंध निदेशकों का तबादला
  • हाफ़कीन महामंडल के पास नहीं है स्थायी प्रबंध निदेशक
  • 6 से 7 महीने ही टिक पाते है निदेशक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-05 13:26 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर अस्पताल में हुई मौतों से एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में दवाइयों के टोटे का मुद्दा उभरकर सामने आया है। इस कमी के साथ ही अस्पतालों में दवाई आपूर्ति करनेवाली हाफ़कीन महामंडल के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। समय पर और पर्याप्त मात्रा में अस्पतालों में दवाई आपूर्ति नहीं करने के कई वजहों में से एक वजह यह है कि हाफ़कीन इंस्टीट्यूट को अभी तक स्थायी रूप से प्रबंध निदेशक नहीं मिला है। बीते 6 वर्षों में यहां 14 प्रबंध निदेशक बदले जा चुके है। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में तमिलनाडु की तर्ज पर राज्य के सभी अस्पतालों में दवाओं की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हाफ़कीन महामंडल के अंतर्गत एक स्वतंत्र खरीदी सेल का निर्माण किया था। इसके गठन के बाद से ही इसी सेल के जरिए अस्पतालों के लिए हर वर्ष करोड़ो रुपए की दवाई खरीदी की जा रही है। लेकिन समय पर दवाई आपूर्ति न होने से 2018 के बाद से इस सेल पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई थी। वर्ष 2020 में तो दवाई की आपूर्ति को लेकर हाफ़कीन पर विधानसभा में मुद्दा भी उठा था। इसके बाद से ही दवाई की खरीद फरोख्त के लिए एक विशेष स्वतंत्र प्राधिकरण बनाने की मांग होने लगी थी जिसे अब जाकर अमली जामा पहना गया है। स्वतंत्र प्राधिकरण के गठित के बाद भी दवाइयों की खरीद- फरोख्त अभी भी हाफ़कीन महामंडल के जरिये ही की जा रही है। लेकिन इस महामंडल पर स्थायी रूप से प्रबंध निदेशक न होने से इसका कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है।

6 से 7 महीने ही टिक पाते है निदेशक

इस महामंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते 6 सालों से जितने भी प्रबंध निदेशक की यहां नियुक्ति की गई है वे ज्यादा से ज्यादा 6 से 7 महीने ही बने रहते है। इसके बाद उनका तबादला हो जाता है। अधिकारी का यह भी कहना है किसी भी वरिष्ठ अफसर को विभाग का कामकाज समझने में 4 से 5 महीने का समय लगता है। लेकिन यहां जब तक वरिष्ठ अफसर कामकाज समझता है तब तक सरकार उनका तबादला कर देते है।

अभी भी प्रभारी के दम पर चल रहा है महामंडल

महामंडल में आईएस स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। 19 जनवरी को सुमन चंद्रा का प्रबंध निदेशक पद से तबादले के बाद से अभी तक इस महामंडल पर प्रबंध निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। वर्तमान में इस महामंडल का अतिरिक्त भार एफ़डीए के आयुक्त अभिमन्यु काले के पास है। अतिरिक्त भार होने की वजह से श्री काले के पास निर्णय लेने का अधिकार भी सीमित है। महामंडल के यूनियन के महासचिव दीपक पेडनेकर ने बताया कि अधिकार सीमित होने की वजह से वे दवाई खरीददारी के साथ दवाई निर्माण के बड़े फैसले ले नहीं पा रहे है।

मुख्यमंत्री को भी लिखा जा चुका है पत्र

दीपक पेडनेकर ने बताया कि महामंडल में स्थायी प्रबंध निदेशक को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र भी लिखा जा चुका है लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाया गया। उन्होंने बताया कि स्थायी प्रबंध निदेशक न होने की वजह से महामंडल के कामकाज प्रभावित हो रहे है।


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