दिशानिर्देश: उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों में तृतीयपंथियों से भेदभाव रोकने जारी दिशानिर्देश
- दाखिला देने में आनाकानी पर कार्रवाई
- आवेदन के दौरान स्त्री, पुरुष के साथ तृतीयपंथी का भी मिलेगा विकल्प
डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों में तृतीयपंथियों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। शिक्षा संस्थानों को कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि तृतीयपंथी विद्यार्थियों के साथ लैंगिकता के आधार पर भेदभाव न हो साथ ही उनकी उपेक्षा या अवहेलना न की जाए। तृतीयपंथियों के खिलाफ पूर्वाग्रह, भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न, हिंसा जैसी शिकायतों के निराकरण के लिए सभी सरकारी व निजी उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों को समिति गठित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा संस्थानों को यह भी कहा गया है कि वे दाखिले और दूसरी योजनाओं के आवेदन फॉर्म में स्त्री, पुरुष के साथ तृतीयपंथी का विकल्प भी उपलब्ध कराएं। विश्वविद्यालयों को हिदायत दी गई है कि अगर कोई शिक्षा संस्थान लैंगिकता के आधार पर दाखिला देने में आनाकानी करता है तो उसके खिलाफ नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार ने हाल ही में तृतीयपंथी नीति को मंजूरी दी है। इसी के आधार पर उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को यह दिशानिर्देश जारी करते हुए सभी गैरकृषि उच्च शिक्षा संस्थानों को इस पर कड़ाई से अमल करने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा संस्थानों को यह भी कहा गया है कि वे विद्यार्थियों, शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को तृतीयपंथियों के समानता के अधिकार के प्रति जागरूक करें। साथ ही सभी शैक्षणिक, सांस्कृतिक और खेलकूद से जुड़े कार्यक्रमों में दूसरे विद्यार्थियों की तरह तृतीयपंथी विद्यार्थियों को भी शामिल करें। तृतीयपंथी विद्यार्थियों की काउंसलिंग, शैक्षणिक मार्गदर्शन और दूसरी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए समन्वय कक्ष बनाने या समन्वयक नियुक्त करने को कहा गया है। छात्रावासों में भी तृतीयपंथियों के लिए अलग कमरे उपलब्ध कराने को कहा गया है। राज्य के सभी उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों में तृतीयपंथियों का शैक्षणिक शुल्क माफ करने से जुड़े आदेश पर भी कड़ाई से अमल करने को कहा गया है।
जैनब पटेल, ट्रांसजेंडर व सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक बेहतर माहौल बनाने की यह पहल तृतीयपंथी समुदाय को उच्च शिक्षित करने में बेहद कारगर साबित हो सकता है। अगले पांच सात साल में हम बड़ी संख्या में ऐसे तृतीयपंथी देखेंगे जो शिक्षा के बल पर अपना और समाज का सशक्तिकरण करेंगे। तृतीयपंथियों के लिए जो नीति बनी है हम उसका भी स्वागत करते हैं