नई शिक्षा नीति: प्रथम वर्ष से नहीं द्वितीय वर्ष से स्नातक के विद्यार्थियों को करना होगा मेजर विषय का चुनाव
- संचालन समिति के सुझाव का आधार
- नई शिक्षा नीति में बदलाव
डिजिटल डेस्क, मुंबई. नई शिक्षा नीति लागू करने के तौर तरीकों में कुछ बदलाव का फैसला किया गया है, जिसके तहत अब स्नातक में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को पहले वर्ष के बजाय दूसरे वर्ष में मेजर विषय का चुनाव करना होगा। दरअसल राज्य के स्वायत्त शिक्षा संस्थानों में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई थी। जबकि शैक्षणिक सत्र 2024-25 से इसे राज्य के सभी शिक्षा संस्थानों में लागू किया जाना है।
स्वायत्त शिक्षा संस्थानों में नई शिक्षा नीति लागू करने के दौरान क्या किसी तरह की परेशानी हुई और क्या इसमें किसी तरह का बदलाव किया जाना है इससे जुड़े सुझाव देने के लिए राज्य सरकार ने डॉ. नितीन करमलकर की अगुआई में एक संचालन समिति का गठन किया था।
समिति ने पाया कि बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को पहले साल में मेजर विषय के चुनाव में परेशानी हो रही है। इसके अलावा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने दो विषयों को ही मेजर के तौर पर चुन लिया।
इससे उन विषयों के लिए शिक्षकों की कमी हो गई, जबकि दूसरे विषयों के लिए शिक्षक अतिरिक्त हो गए। इन परेशानियों को देखते हुए समिति ने सुझाव दिए थे कि प्रथम वर्ष में विद्यार्थियों को सभी विषय पढ़ने दिए जाएं और दूसरे साल उन्हें मेजर विषय का चुनाव करने को कहा जाए।
उच्च शिक्षा के निदेशक डॉ. शैलेंद्र देवलाणकर ने कहा कि संचालन समिति के सुझावों के मुताबिक नई शिक्षा नीति लागू करने के तरीकों में कुछ बदलाव किए गए हैं। अब विद्यार्थियों को पहले वर्ष के बजाय दूसरे वर्ष से मेजर विषय का चुनाव करने का मौका दिया जाए।