समान नागरिकता कानून पर व्यापक चर्चा और सहमति के बाद ही आगे बढ़े सरकार- राकांपा, पोस्टर से नदारद अजित पवार
- समान नागरिकता कानून पर व्यापक चर्चा हो
- सहमति के बाद ही आगे बढ़े सरकार- राकांपा
- पोस्टर से नदारद दिखे अजित पवार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल पटेल ने समान नागरिक कानून को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ साल में सरकार को इस कानून की याद नही आयी और अब अचानक इस कानून को जल्दबाजी में पारित करना चाहती। उन्होंने आरोप किया कि आगामी चुनावों को देखते हुए ही सरकार ने इस मुद्दे को उछाला है। इस पर जल्दबाजी दिखाने की मानसिकता पार्टी को कतई मंजूर नहीं है।
एनसीपी की बुधवार को यहां हुई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के बाद राज्यसभा सदस्य पटेल ने मीडिया से कहा कि समान नागरिकता कानून को हमारा न समर्थन है और ना ही विरोध है, लेकिन जल्दबाजी में इतना बड़ा निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। सामाजिक सुधार अगर इसके पीछे का उद्देश है तो इस मसले पर व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए। बगैर सबकी सहमति के समान नागरिकता जैसा नया कानून बनाने को लेकर आगे बढना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि विधि आयोग ने यूसीसी पर पुराने सुझावों को दरकिनार करके अब एक महीने में फिर नए सुझाव मांगे है। समान नागरिकता कानून किसी एक वर्ग के लिए नहीं है। देश में अनेक जाति-धर्म के लोग रहते है। आदिवासी भी रहते है। सबके अलग-अलग रीति रिवाज और पर्सनल लॉ है। ऐसे में सरकार द्वारा जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं है।
पोस्टर से नदारद दिखे अजित पवार
दरअसल, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में राकांपा की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक के पोस्टर से अजित पवार की तस्वीर गायब दिखी। इसमें राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के साथ कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल की तस्वीर लगाई गई थी, लेकिन दिग्गज नेता अजित पवार नदारद थे। इसको लेकर यहां जोरदार चर्चा रही। हालांकि, पटेल ने बैठक के बाद उनकी अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह बैठक राष्ट्रीय पदाधिकारियों की थी और वह इसके सदस्य नहीं है। इसलिए अजित पवार की तस्वीर होने का कोई सवाल नहीं उठता।
अजित पवार को राकांपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी है। जिला स्तर की प्रक्रिया अभी चल रही है। जब राज्य स्तर की प्रक्रिया पूरी होगी तब प्रदेश अध्यक्ष किसको बनाया जाए इसका निर्णय ले लिया जाएगा। किसी ने प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा व्यक्त की है तो उसे बनाया जायेगा ऐसा समझने का कोई कारण नहीं है। सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी सुप्रीमो ने बैठक के दौरान सुप्रिया सुले और प्रफुल पटेल को चुनावी राज्यों में ज्यादा से ज्यादा संपर्क बढ़ाने और पार्टी पदाधिकारियों की बैठकें आयोजित करने को कहा है।