बॉम्बे हाईकोर्ट: विकलांगता अधिनियम के तहत सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने पर सरकार को फटकार
- अदालत ने सरकार से पूछा-क्या आप संसद के आदेश का पालन नहीं करेंगे?
- 11 जुलाई को राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश
- आयुक्त द्वारा 27 जुलाई 2023 को सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव पर सरकार ने एक वर्ष के बाद भी नहीं किया अमल
- विकलांग (दिव्यांग) व्यक्तियों के लिए फुटपाथ से बोलार्ड हटाने को लेकर सूमो (स्वत: संज्ञान) जनहित याचिका पर सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत राज्य सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने सरकार से पूछा-क्या आप संसद के आदेश का पालन नहीं करेंगे? राज्य सलाहकार बोर्ड 2020 से निष्क्रिय है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष स्वत: संज्ञान (सुमोटो) जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण विभाग के सचिव द्वारा 11 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले राज्य के वकील को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश नहीं दिए जाते हैं, तो वह संबंधित अधिकारी को अपने समक्ष बुलाने के लिए बाध्य होंगे।
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार राज्यों को विशेषज्ञों सहित पदेन और गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति कर बोर्ड का गठन करना आवश्यक है। बोर्ड को अन्य विभागों और विकलांग व्यक्तियों से संबंधित गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों की समीक्षा और निगरानी करने, उनके मुद्दों को उठाने की सिफारिश करने समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन करने का अधिकार है।
पीठ ने कहा कि हम ने आप (सरकार) को पर्याप्त समय दिया। 27 मार्च को अंतिम आदेश दिया गया था। आप को नियुक्ति करने से किसने रोका? राज्य में विकलांग व्यक्तियों के लिए उपाय करने के लिए बोर्ड की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। आज तक बोर्ड में रिक्तियों को नहीं भरा गया है। पीठ ने विकलांग कल्याण विभाग के सचिव सुमंत भांगे द्वारा दायर हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बोर्ड का गठन पहली बार 27 फरवरी 2018 को किया गया था। 17 मार्च 2020 को गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति वापस ले ली गई थी। उसके बाद से उनकी नियुक्ति नहीं की गई हैं।
मुंबई में फुटपाथों के प्रवेश द्वार पर बोलार्ड सुरक्षा के उद्देश्य से लगाए गए थे, लेकिन व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले दिव्यांगों के लिए दुर्गम बना दिया था। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वकील अनिल सिंह और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के वकील अक्षय शिंदे ने कहा कि शहर में फुटपाथों पर बोलार्ड हटाने का काम पूरा हो गया है। पीठ ने बीएमसी और एमएमआरडीए को बोलार्ड को हटाने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों का विवरण देते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।