मराठवाड़ा के मराठासमाज को कुनबी-मराठा का जाति प्रमाणपत्र देने शासनादेश जारी
- शासनादेश में संशोधन की मांग पर अड़े जरांगे-पाटील
- जरांगे-पाटील के लिए हेलिकाप्टर की व्यवस्था करने को तैयार सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने मराठवाड़ा संभाग में रहने वाले मराठा समाज के जिन लोगों के पास निजामकालीन राजस्व और शैक्षणिक अभिलेख में वंशावली का उल्लेख कुनबी के रूप में होगा, ऐसे लोगों को मराठा-कुनबी, कुनबी-मराठा का जाति प्रमाणपत्र देने के लिए कार्य पद्धति तय करने समिति गठित करने गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है। हालांकि जालना के अंबड तहसील के अंतरवाली सराटी गांव में अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटील ने सरकार के शासनादेश को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने सरकार से वंशावली के दस्तावेज दिखाने की शर्त में ढील देने के लिए शासनादेश में संशोधन करने की मांग की है। फिलहाल जरांगे-पाटील का अनशन जारी है।
जरांगे-पाटील ने स्पष्ट कहा है कि सरकार के शासनादेश में संशोधन होने तक वे अनशन जारी रखेंगे। इस पर शिवसेना (शिंदे) के नेता-पूर्व राज्य मंत्री अर्जुन खोतकर ने जरांगे-पाटील से शासनादेश में संशोधन के लिए राज्य सरकार के पास मुंबई में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने का आग्रह किया। जरांगे-पाटील इसके लिए तैयार हो गए हैं। दरअसल सरकार की ओर से शासनादेश जारी होने के बाद सरकार के प्रतिनिधि के रूप में शिवसेना नेता खोतकर ने जरांगे-पाटील से अनशन स्थल पर मुलाकात की। खोतकर ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश को पढ़कर सुनाया।
जरांगे-पाटील के लिए हेलिकाप्टर की व्यवस्था करने को तैयार सरकार
बाद में खोतकर ने कहा कि जरांगे-पाटील ने सरकार के शासनादेश को स्वीकार नहीं किया है लेकिन मैंने उन्हें शासनादेश में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात के लिए आमंत्रित किया है। यदि वे मुंबई आएंगे तो उनके लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था कर दी जाएगी। मुझे उम्मीद है कि शासनादेश में संशोधन के बारे में दो दिनों में ठोस फैसला हो जाएगा।
इससे एक फीसदी लोगों को भी नहीं होगा लाभः जरांगे-पाटील
जरांगे-पाटील ने कहा कि मराठवाड़ा में मराठा समाज के लोगों के पास वंशावली के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। वंशावली की शर्त के कारण एक प्रतिशत लोगों को भी प्रमाणपत्र का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसलिए सरकार को वंशावली की शर्त में छूट देने के लिए शासनादेश में संशोधन करना चाहिए। वंशावली के बजाय शासनादेश में बिना किसी शर्त के सभी मराठा समाज के लोगों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने के फैसले का उल्लेख किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खराब स्वास्थ्य के कारण मैं मुंबई नहीं जा पाऊंगा। लेकिन मेरी ओर से एक प्रतिनिधिमंडल मुंबई जाकर मुख्यमंत्री से चर्चा करेगा। जरांगे-पाटील ने कहा कि जब तक शासनादेश में संशोधन नहीं होगा तब तक मैं पानी नहीं भी पिऊंगा। मैं शासनादेश में संशोधन के बाद खोतकर के हाथ से ही पानी पिऊंगा।
वंशावली में कुनबी उल्लेख होने पर ही मिल सकेगा कुनबी जाति प्रमाण पत्र - सरकार
प्रदेश सरकार ने मराठवाड़ा संभाग में मराठा समाज के जिन व्यक्तियों के पास निजामकालीन राजस्व और शैक्षणिक अभिलेख में उनके वंशावली का उल्लेख कुनबी के तौर पर होगा, ऐसे व्यक्तियों के दस्तावेज की कड़ाई से जांच करके उन्हें मराठा-कुनबी, कुनबी-मराठा का जाति प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए मंजूरी दी है। मराठवाड़ा के मराठा समाज के मराठा-कुनबी, कुनबी-मराठा जाति का जाति प्रमाणपत्र देने के लिए आवश्यक अनिवार्य दस्तावेजों के वैधानिक व प्रशासनिक जांच करने और उसके बाद जाति प्रमाणपत्र देने को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संदीप शिंदे की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। यह समिति सरकार को एक महीने में रिपोर्ट सौंपेगी। गुरुवार को राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव सुमंत भांगे ने समिति के गठन के संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसके अनुसार शिंदे समिति के सदस्य के रूप में राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव, संबंधित जिलों के जिलाधिकारी को शामिल किया गया है। जबकि औरंगाबाद विभाग के विभागीय आयुक्त समिति के सदस्य सचिव होंगे। समिति में अन्य प्रशासनिक विभागों के सचिवों को आवश्यकता के अनुसार आमंत्रित किया जा सकता है। यह समिति बताएगी कि मराठवाड़ा विभाग के मराठा समाज के व्यक्तियों के निजामकालीन, वंशावली, शैक्षणिक, राजस्व और राष्ट्रीय दस्तावेज आदि सबूत का वैधानिक व प्रशासनिक जांच कैसे करें? साथ ही जांच के बाद मराठा-कुनबी, कुनबी-मराठा जाति का जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कार्य पद्धति तय करेगी। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कुनबी समाज को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है।
सरकार मराठा समाज के समाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को सिद्ध करेगी
एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री ने कहा किराज्य सरकार मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध है। सरकार इंपेरिकल डेटा तैयार करके यह सिद्ध करेगी कि मराठा समाज समाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा है। सरकार सुप्रीम कोर्ट से मराठा समाज के आरक्षण को बहाल करने के लिए आग्रह करेगी। इससे पहले पूर्व की भाजपा सरकार ने मराठा समाज के लिए आरक्षण लागू किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार की नाकामियों के चलते मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था। अब विपक्ष मराठा आरक्षण पर राजनीति कर रहा है।