जनहित याचिका: बॉम्बे हाईकोर्ट से गोवंडीवासियों को मिली बड़ी राहत
- बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट का होगा दो साल में स्थानांतरण
- जनहित याचिका का हुआ निस्तारण
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट से सोमवार को गोवंडीवासियों को बड़ी राहत मिली। अदालत ने प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को दो साल में पूरी तरह से बोरीवली के पातालगंगा इंडस्ट्रियल परिसर में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट से होने वाले प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका को समाप्त कर दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को गोवंडी न्यू संगम वेलफेयर सोसायटी की ओर से फैयाज आलम की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को दो साल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के वकील जमन अली ने सुनवाई के दौरान बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट से होने वाले प्रदूषण से प्रभावित लोगों को मुआवजे देने पर जोर दिया, तो खंडपीठ ने उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के पास जाने को कहा।
याचिकाकर्ता फैयाज आलम ने कहा कि खंडपीठ के फैसले से पहला पढ़ाव पार कर लिया है। याचिका में तीन मांगे की थी, जिसमें से उनकी पहली प्रमुख मांग तय समय सीमा में प्लांट के स्थानांतरण की थी। जो अब दो साल में पूरी की जाएगी। उनकी दूसरी मांग प्लांट स्थानांतरित होने तक यहां होने वाले कचरे की प्रक्रिया के भार को आधा करना और तीसरी मांग प्लांट से हुए प्रदूषण से प्रभावितों को मुआवजा देने की थी। इसके लिए वह फिर से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के दरवाजा खटखटाने वाले हैं।
जनहित याचिका में दावा किया गया था कि गोवंडी स्थित डंपिंग ग्राउंड के समीप बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले धुएं का असर प्लांट के आसपास स्थित इलाकों के नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इस प्लांट को हटाने की मांग बीते कई वर्षों से हो रही थी, लेकिन इस मांग को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अनदेखा कर रहा था। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी। इस प्लांट से निकलने वाले जहरीले धुएं के चलते लोग दमा, टीबी और कैंसर आदि रोगों के शिकार हो रहे हैं। इसकी मनपा प्रशासन, केंद्रीय और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि से शिकायत की थी, लेकिन सभी ने इसे अनदेखा कर दिया था।
पिछले दिनों सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि वैज्ञानिक तरीके से जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निपटान के लिए रसायनी एमआईडीसी में तैयार की जा रही परियोजना में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण और अन्य विभागों को सहयोग करना चाहिए। इस प्रोजेक्ट के लिए जरूरी अनुमतियां कम से कम समय में दी जाए. जबकि परियोजना का निर्माण कर रही एसएमएस एनवोक्लिन कंपनी ने कहा था कि जमीन पर कब्जा लेने से लेकर परियोजना को पूरा करने तक 13 महीने लगेंगे, लेकिन खंडपीठ ने इस अवधि को कम करने के लिए प्रदूषण बोर्ड को कंपनी और बीएमसी अधिकारियों की संयुक्त बैठक बुलाने की बात कही थी। खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पूरे प्लांट को स्थानांतरित करने के लिए दो साल का समय दिया है।