बनाया टास्क फोर्स - सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाएंगी जर्मन और दूसरी यूरोपीय भाषाएं
- यूरोप में उपलब्ध रोजगार के मौकों को भुनाने में सरकार
- सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाएंगी यूरोपीय भाषाएं
- बनाया टास्क फोर्स
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के सरकारी स्कूलों में जल्द ही जर्मन समेत दूसरी यूरोपीय भाषाएं पढ़ाई जा सकतीं हैं। यूरोपीय देशों में उपलब्ध रोजगार के मौकों का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षत युवा तैयार करने के मकसद से सरकार यह रणनीति बना रही है। यूरोपीय देशों की मांग के मुताबिक कुशल श्रमशक्ति (मैन पावर) तैयार करने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए, इस पर विचार के लिए राज्य सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। स्कूली शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली इस टास्क फोर्स में पांच अन्य संबंधित विभागों के भी मंत्री शामिल होंगे।
टास्क फोर्स एक महीने में देगी सरकार को रिपोर्ट
शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने हाल ही में जर्मनी दौरे के समय वहां के अधिकारियों से बातचीत के बाद पाया कि जर्मनी समेत यूरोपियन यूनियन के देशों में निपुण श्रमशक्ति की कमी है। महाराष्ट्र में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आईटीआई) के जरिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है, साथ ही स्कूली शिक्षा विभाग भी 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि तैयार श्रमशक्ति को यूरोपीय देशों में रोजगार मिल सकता है। बस इन विद्यार्थियों को कुछ आधुनिक तकनीक, जर्मन या दूसरी स्थानीय भाषा, यूरोपीय देशों के शिष्टाचार का अतिरिक्त प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है।
इसके लिए किस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत है इसके लिए 13 सदस्यीय टास्क फोर्स के गठन को मंजूरी दी गई है। इस टास्क फोर्स को एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी है।
समिति में कौन-कौन होंगे
स्कूली शिक्षा मंत्री, अध्यक्ष
उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री, सह-अध्यक्ष
कृषि मंत्री, सह-अध्यक्ष
चिकित्सा शिक्षा मंत्री, सह-अध्यक्ष
उद्योग मंत्री, सह-अध्यक्ष
कौशल विकास मंत्री, सह-अध्यक्ष
प्रधान सचिव कृषि विभाग, सदस्य
प्रधान सचिव कौशल व उद्यमशीतला विभाग, सदस्य
प्रधान सचिव उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग, सदस्य
प्रधान सचिव उद्योग विभाग, सदस्य
प्रधान सचिव स्कूली शिक्षा विभाग, सदस्य
सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग, सदस्य
आयुक्त (शिक्षा), सदस्य सचिव
इन मुद्दों पर समिति करेगी विचार
-यूरोपियन यूनियन के देशों में कुशल श्रमशक्ति मुहैया कराने के लिए किस तरह का प्रशिक्षण दिया जाए।
-सरकारी और स्थानीय स्वराज संस्थाओं में जर्मन समेत दूसरी भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार।
-प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, नर्सिंग, होटल मैनेजमेंट, मेडिकल इक्विपमेंट टेक्नीशियन समेत रोजमर्रा के जीवन की जरूरतों के लिए लगने वाली श्रमशक्ति का अध्ययन कर रूपरेखा तैयार करना।
-राज्य के हर विभाग में कम से कम एक यानी आठ सेंटर ऑफ एक्सिलेंस तैयार करना। जब तक यह तैयार नहीं होता, आईटीआई के जरिए प्रशिक्षण देना।
- रणनीति के तहत यूरोपीय देशों में 90 फीसदी तक श्रमशक्ति सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के जरिए उपलब्ध कराना।
-जर्मनी के साथ किए जाने वाले समझौते का मसौदा तैयार करना।