इलाज में नई तकनीकी: महज 10 मिनट में फेफड़े के कैंसर से पीड़ित मरीजों में जीन म्यूटेशन का पता चलेगा
- ऑन्को प्रेडिक्ट टेस्ट के जरिये इलाज की दिशा पता चलेगी
- फेफड़े के कैंसर से पीड़ित मरीजों को लाभ
- आसानी से तय हो सकेगी उपचार पद्धति
डिजिटल डेस्क, मुंबई. देश में कैंसर के बढ़ते प्रमाण को देखते हुए डॉक्टरों ने इसके निदान पर भी ज्यादा जोर देना शुरू कर दिया है। इसमें मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराना और जान बचाना मुख्य उद्देश्य है। इस कोशिश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बड़ा सहायक बन गया है। इसी कड़ी में अब फेफड़े के कैंसर से पीड़ित मरीजों में जीन म्यूटेशन का पता महज 10 मिनट में ही चल सकेगा। पहले इसके लिए 5 से 10 दिन का समय लगता था और विदेशी लैब पर निर्भर रहना पड़ता था।
"कैंसर में देखभाल की निरंतरता’ विषय पर तीसरा इंडियन कैंसर कांग्रेस 2023 जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया है। 2 से 5 नवंबर तक चलनेवाले इस कार्यक्रम में भारत सहित दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका आदि देशों से लगभग पांच से छह हजार कैंसर विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। इसमें फेफड़े के कैंसर मरीजों में 10 मिनट में जीन म्यूटेशन का पता लगानेवाली ‘ऑन्को प्रेडिक्ट टेस्ट’ का शुक्रवार को अनावरण होना है।
आसानी से तय हो सकेगी उपचार पद्धति
वन सेल के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. जयंत खंडारे ने बताया कि देश में सबसे अधिक पाए जानेवाले कैंसरों में से एक है फेफड़े का कैंसर। धूम्रपान न करनेवाले लोग भी फेफड़े के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। इसकी कई वजहों में एक जीन म्यूटेशन भी है। इन मरीजों में जीन म्यूटेशन का पता लगाने के लिए डॉक्टरों को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही रिपोर्ट के लिए 5 से 10 दिन का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब ऑन्को प्रेडिक्ट टेस्ट से महज 10 मिनट में इसका पता चल सकेगा। इस टेस्ट का सबसे फायदा टाटा मेमोरियल अस्पताल में आनेवाले मरीजों को होगा। इस रिपोर्ट के बाद डॉक्टर फेफड़े के कैंसर से ग्रसित मरीजों की उपचार पद्धति तय कर सकेंगे।
ऑन्को प्रेडिक्ट टेस्ट की कार्यप्रणाली
डॉ. खंडारे ने बताया कि इसके लिए डॉक्टरों को बायोप्सी के जरिए टिश्यू को संकलित कर एक स्लाइड बनाना होगा। जिसे स्कैन कर वन सेल के लिंक पर अपलोड करना होगा, इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये डॉक्टर यह जान सकेंगे कि इन मरीजों में जीन म्यूटेशन हुआ है कि नहीं? अगर रिपोर्ट में जीन म्यूटेशन न होने की बात सामने आती है तो इससे यह साफ हो जाएगा कि डॉक्टर द्वारा शुरू किए गए उपचार पध्दति का मरीज को लाभ मिल रहा है। अगर जीन म्यूटेशन की बात सामने आती है तो डॉक्टर इलाज की आगे की दिशा तय कर सकेंगे।