बॉम्बे हाईकोर्ट: पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त अनिल गोयल भ्रष्टाचार के मामले से बरी
- सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने की थी गोयल पर कार्रवाई
- गोयल भ्रष्टाचार के मामले से बरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2015 के भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त अनिल गोयल को बरी कर दिया। उन पर केरल में मुख्य आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत रहते हुए तिरुवनंतपुरम में बिना किराया चुकाए बिल्डर के फ्लैट में रहने का आरोप था। सीबीआई ने आरोप था कि गोयल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी अधिनियम) की धारा 11 (लोक सेवक द्वारा संबंधित व्यक्ति से बिना विचार किए मूल्यवान वस्तु प्राप्त करना) के तहत प्रथम दृष्टया अपराध का मामला बनता है।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने पाया कि अभियोजन पक्ष (सीबीआई) यह साबित करने में विफल रहा है कि पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त गोयल फ्लैट बिल्डर से मुफ्त में लिया गया था। जबकि गोयल उपयोगिता बिल और रखरखाव शुल्क का भुगतान कर रहे थे। न्यायाधीश डांगरे ने कहा कि सीबीआई यह साबित करने में भी विफल रहा कि याचिकाकर्ता ने फ्लैट मुफ्त में लिया था और उस पर लगे आरोप का संबंध निर्वहन किए जाने वाले कर्तव्य से था।याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र में फ्लैट आता था। यह नहीं कहा जा सकता है कि मामला पीसी अधिनियम की धारा 11 के तहत आता है।
याचिकाकर्ता पर गलत तरीके से आरोप पत्र दाखिल किया गया था और वह आरोप मुक्त होने का हकदार है। अदालत ने गोयल को भ्रष्टाचार के आरोप से से बरी कर दिया।
सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गोयल पर दिसंबर 2015 में पीसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत द्वारा मामला दर्ज किया था। उनके खिलाफ आरोप था कि 1 जनवरी 2014 से 31 दिसंबर 2015 के बीच सीसीआईटी केरल के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने बिना किसी किराए के भुगतान के हीरा कंस्ट्रक्शन कंपनी के फ्लैट (गेस्ट हाउस) में रहे। हीरा कंस्ट्रक्शन कंपनी गोयल के आईटी मूल्यांकन क्षेत्राधिकार में आता है। किराए का भुगतान किए बिना फ्लैट में रहना पीसी अधिनियम की धारा 11 के तहत अपराध है।