बॉम्बे हाईकोर्ट: पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराने वाला चुनाव आयोग का रुख गलत
- चुनाव आयोग ने सोमवार को अदालत में दिया जवाब
- 13 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
- सांसद गिरीश बापट की मृत्यु से पुणे लोकसभा की सीट हुई खाली
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग (ईसीआई) का पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराने का रुख गलत है। अगर मणिपुर जैसी जगह पर चुनाव होना है, जहां अशांति है, तो वह चुनाव आयोग के रुख को समझ सकते हैं। पुणे लोकसभा क्षेत्र के सांसद गिरीश बापट के इस साल 29 मार्च को निधन के बाद लोकसभा की सीट खाली हुई है। न्यायमूर्ति गौतम एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल आर.खट्टा की खंडपीठ के समक्ष पुणे निवासी सुघोष जोशी की ओर से वकील कुशाल मोर की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान ईसीआई की ओर से पेश हुए वकील प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि वह चुनाव नहीं करा सकता, क्योंकि वह अन्य चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में व्यस्त था। अगर अभी उपचुनाव होते हैं, तो नए सांसद का कार्यकाल एक साल से भी कम होगा। इस पर खंडपीठ ने कहा कि वे (ईसीआई) कह रहे हैं कि वे अन्य चुनावों में व्यस्त हैं। इसलिए वे ये चुनाव नहीं करा सकते। हम समझते हैं कि अगर वे कहते हैं कि मणिपुर जैसी जगह पर चुनाव नहीं करा सकते, क्योंकि वहां अशांति है। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पुणे निर्वाचन क्षेत्र में रिक्ति निकलने के बाद इस वर्ष अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एक हलफनामा दायर कर विवरण देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को रखी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151(ए) के अनुसार लोकसभा या विधान सभा की खाली सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव के माध्यम से भरा जाना चाहिए। इसलिए इसे 28 सितंबर तक आयोजित किया जाना चाहिए था। पुणे में कई विकासात्मक परियोजनाओं में महत्वपूर्ण देरी से संबंधित मुद्दों को उठाना था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से संसद में पुणे लोकसभा की कोई आवाज नहीं है।