राज्यसभा चुनाव: शिवसेना-राकांपा में टूट का असर, मुश्किल में उद्धव और शरद गुट की उम्मीदवारी!
- शिवसेना (शिंदे) से मिलिंद देवड़ा को मिल सकता है मौका
- नवाब मलिक को राज्यसभा भेजना चाहता है अजित गुट
- स्वास्थ्य के आधार पर मलिक फिलहाल जमानत पर हैं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों के चुनाव के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा। प्रदेश में इस बार का राज्यसभा चुनाव दिलचस्प होने के आसार हैं। क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा दोनों दलों में फूट पड़ने के बाद यह पहला मौका होगा, जब राज्यसभा के सदस्यों को चुनने के लिए सीधे महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य वोट डालेंगे। लेकिन शिवसेना और राकांपा में हुई टूट का सबसे ज्यादा नुकसान उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गुट को होगा। विधानसभा में शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद) के विधायकों का संख्याबल कम होने के कारण दोनों दलों के एक भी सदस्य अपने दम पर निर्वाचित नहीं हो सकते हैं। जबकि इस चुनाव में यदि भाजपा ने शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) के लिए एक-एक सीट छोड़ने का फैसला किया तो दोनों दलों का राज्यसभा में खाता खुल सकता है। महाराष्ट्र में भाजपा के राज्यसभा सदस्य तथा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और प्रकाश जावडेकर का कार्यकाल 2 अप्रैल को खत्म हो रहा है। अब भाजपा जावडेकर के बजाय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे को राज्यसभा भेज सकती है। तावडे बिहार में भाजपा के प्रभारी हैं। गत 28 जनवरी को बिहार में हुए सत्ता पलट से भाजपा सरकार में आई है। इससे माना जा रहा है कि तावडे का कद बढ़ गया है। तावडे मराठा समाज से तालुक रखते हैं। हालांकि भाजपा ने साल 2019 के विधानसभा चुनाव में तावडे को विधानसभा के लिए भी टिकट नहीं दिया था। जबकि केंद्रीय मंत्री राणे और मुरलीधरन के टिकट को लेकर भाजपा क्या फैसला लेती है? इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
शिवसेना (शिंदे) से मिलिंद देवड़ा को मिल सकता है मौका
विधानसभा में शिवसेना (शिंदे) के विधायकों की संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मिलिंद देवडा को मौका दे सकते हैं। देवडा बीते दिनों कांग्रेस को छोड़कर शिवसेना (शिंदे) में शामिल हुए थे। दूसरी ओर कांग्रेस में वर्तमान राज्यसभा सदस्य कुमार केतकर का पत्ता कटना तय माना जा रहा है। केतकर की जगह पार्टी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे को मौका दे सकती है। नागपुर के पांडे फिलहाल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी भी हैं। राज्यसभा में शिवसेना (उद्धव) के सदस्य अनिल देसाई और राकांपा (शरद) की वर्तमान राज्यसभा सदस्य वंदना चव्हाण का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
नवाब मलिक को राज्यसभा भेजना चाहता है अजित गुट
आगामी 2 अप्रैल को रिक्त हो रही राज्यसभा की 6 सीटों में से एक सीट से राकांपा की वंदना चव्हाण भी राज्यसभा सदस्य हैं। चव्हाण फिलहाल शरद पवार गुट में हैं और विधायकों की संख्या के लिहाज से यह सीट इस बार राकांपा (अजित) के पास रहेगी। सूत्रों के अनुसार अजित गुट इस सीट से राकांपा विधायक नवाब मलिक को राज्यसभा में भेज सकता है।
ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद स्वास्थ्य के आधार पर मलिक फिलहाल जमानत पर हैं। दिसंबर में सपन्न हुए विधानमंडल के नागपुर शीतकालिन अधिवेशन के दौरान मलिक विधानसभा सदन में अजित गुट के साथ बैठे नजर आए थे। इसको लेकर विपक्षी सदस्यों ने सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधा था। जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पत्र लिख कर मलिक को महा युति में शामिल करने का विरोध किया था। राज्य की राजनीति में मलिक के चलते भाजपा के लिए मुश्किल न खड़ी हो इस लिए राकांपा (अजित) उन्हें राज्यसभा के माध्यम से दिल्ली भेजना चाहता है। मलिक अच्छे वक्ता और राज्य की राजनीति में एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा हैं।
अजित गुट को अपनी पार्टी में एक मुस्लिम चेहरे की जरुरत भी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होंगे। ऐसे में राकांपा (अजित) मलिक जैसे अच्छे वक्ता का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए कर सकती है। दूसरी ओर कभी शरद पवार के करीबी रहे तारिक अनवर अब कांग्रेस के साथ हैं। शरद पवार ने उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजा था। सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सदस्यता मिलने पर तारिक अजित गुट में आ सकते हैं। पर तारिक जिस तरह बार-बार अपनी निष्ठा बदलते रहे हैं उसे देखते हुए अजित गुट उनको लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है।