खास खबर: जल संकट से निपटने में मददगार होगा आसानी से तैयार होने वाला स्टोरेज टैंक
- घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले 60 फीसदी पानी का दोबारा किया जा सकता है उपयोग
- जल संकट से निपटने में मददगार
- बड़ी संख्या में लोगों ने दिखाई दिलचस्पी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राजधानी समेत देश के ज्यादातर शहरों में पानी कटौती आम बात है। कई बार मरम्मत और तकनीकी खामियों के चलते लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता तो कई बार गर्मी में पानी की कमी के चलते जलापूर्ति में कटौती कर दी जाती है। आम लोग पानी का दोबारा इस्तेमाल कर इस कमी से आसानी से निपट सकें इसके लिए पर्यावरण योद्धा सुभजीत मुखर्जी ने एक बेहद आसान रास्ता खोज निकाला है जिसके तहत कुछ रुपए खर्च कर घर में ही एक बार इस्तेमाल किया हुआ पानी (ग्रे वाटर) घर में ही दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत एक ड्रम में बाजार में आसानी से करीब ढाई सौ रुपए में मिलने वाला बायोमाइक्रान वॉटर फिल्टर लगा दिया जाता है। साथ ही ड्रम से साफ पानी निकालने के लिए निचले हिस्से में एक नल जोड़ दी जाती है। इसके बाद इसे किचन के सिंक के नीचे लगी पाइप से जोड़ दिया जाता है।
मुखर्जी ने कहा कि इसके बाद बर्तन धोने, हाथ धोने, दूसरे खाने पीने की चीजें धोने के बाद पानी सिंक से होकर साफ होते हुए ड्रम में पहुंच जाता है। इस पानी को पेड़ों की सिचाई, फर्श साफ करने, फ्लश आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है। मुखर्जी ने कहा कि फिलहाल घर में इस्तेमाल हुआ ज्यादातर पानी नाली में बह जाता है लेकिन इस तरीके से करीब 60 फीसदी पानी का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है। करीब पांच लाख लीटर पानी साफ करने के बाद वॉटर फिल्टर बदलकर इसे फिर तैयार किया जा सकता है।
बड़ी संख्या में लोगों ने दिखाई दिलचस्पी
मुखर्जी ने सोशल मीडिया पर यह तरकीब साझा की तो उन्हें देशभर से बड़ी संख्या में लोग फोन कर इसे खरीदने की बात कहने लगे लेकिन उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि लोग खुद अपने घरों में इसे तैयार करें जिससे पानी बचाने के प्रति उनके साथ परिवार की भी जागरुकता बढ़ेगी। इसे बड़ी आसानी में एक से दो हजार रुपए के खर्च में तैयार किया जा सकता है। सुभजीत ने कहा कि मुझे नाशिक से एक व्यक्ति ने फोन किया और कहा कि मैं अपने फार्म हाउस में पानी दोबारा इस्तेमाल करने की तरकीब आजमाना चाहता हूं मैंने उसे इसे तैयार करने की सारी प्रक्रिया समझा दी। उन्होंने कहा कि फिलहाल मैं दस स्कूलों को यह सिस्टम मुफ्त दूंगा जिससे विद्यार्थियों के इस्तेमाल के बाद पानी को साफ कर वहां बागवानी के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इसे देखकर विद्यार्थी इस प्रयोग को अपने घरों में भी करने के लिए प्रेरित होंगे।