असल खजाना: डॉ. कोठारी के पास है भगवान गणेश से जुड़ीं कलाकृतियों का दुर्लभ संग्रह
- हर साल बढ़ रहा खजाना
- 18वीं शताब्दी का दक्षिण भारत में बना सिक्का भी शामिल
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र । गणेशोत्सव की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भले 1893 में की। वैसे भगवान गणेश हजारों वर्षों से लोगों के आराध्य हैं। बप्पा के इन्हीं भक्तों में शामिल हैं जाने-माने यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश कोठारी, जिन्हें भगवान गणेश से जुड़ी दुर्लभ और खूबसूरत वस्तुओं का संग्रह करने का जुनून है। डॉ. कोठारी इन दुर्लभ वस्तुओं के लिए मुंबई के चोर बाजार से लेकर बड़ी-बड़ी दुकानों तक घूमते रहते हैं। इस साल उनके संग्रह में 18वीं सदी का दक्षिण भारत में बना एक सिक्का शामिल हुआ, जिसमें भगवान गणेश की प्रतिमा उकेरी गई है। मशहूर मूर्तिकारों अंकित पटेल और रतन शाह की बनाई गणेश प्रतिमाओं सहित डॉ. कोठारी के संग्रह में 200 से ज्यादा खूबसूरत कलाकृतियां शामिल हैं। उन्होंने अपने संग्रह को किताब की शक्ल दी है, जो ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
पुणे के दो प्रोफेसर की लेते हैं मदद
डॉ. कोठारी ने कहा कि मुझे जो वस्तुएं मिलती हैं, उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि समझने के लिए मैं पुणे स्थित डेक्कन कॉलेज के ऑर्कियोलॉजी विभाग के दो प्रोफेसरों-गोपाल जोगे और अभिजीत दांडेकर की मदद लेता हूं। डॉ. जोगे ने ही मुझे बताया कि मेरे संग्रह में एक गणेश पट है, जिसमें भगवान गणेश की पांच प्रतिमाएं हैं। इसे पुराने समय में सफर पर निकलने वाले लोग अपने साथ पूजा के लिए ले जाते थे। उन्होंने बताया कि यह बेहद दुर्लभ है।
क्या-क्या है संग्रह में
डॉ. कोठारी के संग्रह में सबसे ज्यादा प्रतिमाएं, सिक्के और स्टैंप हैं। उनके पास दो हजार वर्ष पुरानी यानी पहली शताब्दी की गणेश प्रतिमा है जो शायद दुनिया की सबसे पुरानी बची हुई गणेश प्रतिमा है। इसके अलावा उन्होंने दतिया राजघराने द्वारा निकाला गया गणेशजी का स्टैंप नीलामी में खरीदा है। टेराकोटा की एक लाल प्रतिमा भी उनके पास है, जिसमें भगवान गणेश का दायां हाथ अभय मुद्रा में उठा हुआ है। प्रतिमा के पीछे हुक है, जिससे पता चलता है कि इसे पेंडेंट की तरह इस्तेमाल किया जाता होगा।
चोर बाजार में मिली सातवाहन काल की प्रतिमा
सातवाहन काल की टेरा कोटा प्रतिमा चोर बाजार में डॉ. कोठारी को मिली। उनके पास दूसरी सदी की एक मुहर भी है, जिसमें ब्राह्मी लिपि में जगेश्वर लिखा है और भगवान गणेश के सिर पर प्रभावली है। इसके अलावा उनके संग्रह में शंक्वाकार गणेश प्रतिमा, नौवीं शताब्दी की हिमाचल प्रदेश की सूर्य एवं चंद्रमा के साथ गणेश प्रतिमा, 10वीं शताब्दी की तमिलनाडु की शिवलिंग पर स्थित गणेश प्रतिमा, 11 वीं शताब्दी की बिहार की रजत प्रतिमा जैसी दर्जनों दुर्लभ कलाकृतियां शामिल हैं।
संग्रह के लिए उन्होंने मुझे चुना
डॉ. कोठारी ने कहा कि मैं भगवान गणेश का भक्त हूं। मुझे लगता है कि उन्होंने खुद मुझे इस संग्रह के लिए चुना है। क्योंकि ऐसा नहीं होता तो अचानक चोर बाजार में मेरे हाथ इतनी दुर्लभ कलाकृतियां कैसे लगतीं।