महाराष्ट्र: राज्य सरकार के 23 मेडिकल कॉलेज-अस्पतालों में डॉक्टर अब भी हाथों से लिख रहे हैं जानकारी

  • एचएमआईएस की धीमी गति
  • 23 मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में डॉक्टर हाथों से लिख रहे है मरीजों की जानकारी
  • ओपीडी रजिस्ट्रेशन के लिए मरीजों को लगानी पड़ रही है लंबी कतार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-28 09:14 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। राज्य सरकार के अधीन आने वाले 23 मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में पिछले डेढ़ साल से डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को मरीजों की जानकारी हाथ से लिखने का काम करना पड़ रहा है तो वहीं मरीजों को ओपीडी केस पेपर के लिए घंटों कतार में रहना पड़ता है। इसकी प्रमुख वजह इन अस्पतालों में स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) को पूर्ण रूप से लागू करने में हो रही लेटलतीफी बताई जा रही है। राज्य सरकार के सभी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में डेढ़ वर्ष पहले यानी 5 जुलाई 2022 को अचानक डिजिटल रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया। 5 जुलाई से लेकर अभी तक इसे कार्यान्वित नहीं किया गया है। हालांकि बीते वर्ष सभी 23 अस्पतालों में , 'नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल' नामक एक नई डिजिटल प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए सितंबर में कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया था।

सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि फिलहाल सभी अस्पतालों में एक कंप्यूटर स्थापित किया गया जहां डिजिटल रजिस्ट्रेशन की शुरुआत तो हुई है लेकिन अस्पताल में आनेवाले मरीजों की संख्या से उपलब्ध एक कंप्यूटर पर रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है। लंबी कतारों को देखते हुए मरीजों के रजिस्ट्रेशन का काम अभी भी नॉन डिजिटल किया जा रहा है। डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की धीमी गति को देखते हुए अस्पतालों के चिकित्सको में इस बात पर चर्चा चल रही है कि यह पूरा सिस्टम पूरी तरह से कब कार्यान्वित होगा।

मरीजों को नई प्रणाली से यह होगा फायदा

मरीजों को ऑनलाइन पंजीयन, भुगतान, प्रिस्क्रिप्शन, लैब रिपोर्ट, फार्मेसी पर्ची, ओपीडी कार्ड, एडमिशन टिकट, डिस्चार्ज समरी मोबाइल पर मिल सकेगी। वह डॉक्टर की उपलब्धता, विशेष क्लीनिक का समय और ब्लड बैंक आदि की जानकारी आसानी से ले सकेंगे। सॉफ्टवेयर से रोगी का आधार, आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट भी जोड़ा जाएगा। वहीं, मरीजों को अस्पतालों में उपलब्ध दवाइयां आसानी से दिख सकेगी। दवाओं की एक्सपायरी सूची भी देखी जा सकेगी।

269 करोड़ रुपए की मंजूरी

राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा विकसित अद्यतन प्रणाली 'नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल' का चयन किया है। इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए चिकित्सा विभाग ने पांच साल के लिए 269 करोड़ रुपए का खर्च स्वीकृत किया है।

महीनेभर में पूरा सिस्टम होगा कार्यान्वित

चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'एचएमआईएस' शुरू करने का काम अंतिम चरण में है। फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है। अगले माह सभी आवश्यक कंप्यूटर व मशीनें खरीद ली जाएंगी। केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित अद्यतन प्रणाली 'नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल' का उपयोग किया जाएगा।

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