महाराष्ट्र सदन घोटाला मामला: भुजबल और परिजन को जारी नोटिस अंजली दमानिया के सोशल मीडिया पर डालने से नाराजगी
- 29 अप्रैल को मामले की होगी सुनवाई
- रिवीजन याचिका पर जारी नोटिस भुजबल और उनके परिवार के डिस्चार्ज के खिलाफ अदालत की राय नहीं
- अंजली दमानिया के सोशल मीडिया पर डालने पर जताई नाराजगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सदन घोटाले में राकांपा (अजीत गुट) नेता और खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल समेत सभी पार्टियों को जारी की गई नोटिस को याचिकाकर्ता अंजली दमानिया द्वारा सोशल मीडिया पर डालने पर नाराजगी जताई।
अदालत ने स्पष्ट किया कि दमानिया के दायर रिवीजन याचिका पर जारी नोटिस भुजबल और उनके परिवार के डिस्चार्ज के खिलाफ अदालत की राय नहीं है। न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को राज्य के तत्कालीन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सचिव दीपक बालकृष्ण देशपांडे की याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महाराष्ट्र सदन घोटाले में याचिकाकर्ता को छोड़कर सभी आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया। जबकि इस घोटाले के बाद 2006 में याचिकाकर्ता की पीडब्ल्यूडी में सचिव के पद पर नियुक्ति हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता देशपांडे की मामले डिस्चार्ज करने की याचिका खारिज कर दी थी।
देशपांडे ने हाई कोर्ट में इसे चुनौती दिया है। अंजलि दमानिया ने देशपांडे के खिलाफ हस्थक्षेप याचिका दायर किया है। साथ ही दमानिया ने भुजबल और उनके परिवार को ट्रायल कोर्ट द्वारा डिस्चार्ज किए जाने के खिलाफ रिवीजन याचिका दायर किया है। अदालत ने दोनों मामले की सुनवाई 29 अप्रैल को रखी है।
अंजली दमानिया की याचिका में दावा किया गया है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में छगन भुजबल, उनके बेटे और समीर भुजबल समेत सभी आरोपियों को डिस्चार्ज उनके खिलाफ सबूतों की अनदेखी की गई। अदालत से महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से दोबारा जांच की मांग की गयी है।
भुजबल परिवार के अलावा इस मामले में 50 से अधिक लोग आरोपी हैं।