मदद के हाथ: पालघर जिले के पहाड़ी-दुर्गम इलाकों में चेक डैम बना दूर कर रहे आदिवासियों के पानी की समस्या
- अच्छी बारिश होने के बावजूद गर्मियों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं कई गांव
- स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर गुप्ता दंपति की पहल
डिजिटल डेस्क, मुंबई. महानगर से सटे पालघर जिले के आदिवासी बाहुल्य वाले इलाके के लोगों के लिए गर्मी में पानी की समस्या भीषण हो जाती हैं। 75 वर्षों में सरकारें लोगों की जिस परेशानी को दूर नहीं कर पाईं उसे हल करने के लिए स्वसंयेवी संस्थाएं और समाजसेवी आगे आए हैं। इन लोगों ने पालघर जिले के तीन गांवों में चेक डैम बनाए हैं जिससे यहां रहने वालों के पानी की समस्या दूर हो गई है। फिलहाल सेंसरी, सायवन और किन्हवली गावों में चेकडैम बनाए गए हैं। दरअसल तीनों गांव पहाड़ी क्षेत्र में हैं और यहां आदिवासी रहते हैं। मॉनसून के दौरान इन गांवों में अच्छी खासी बारिश होती है लेकिन पहाड़ी इलाका होने के चलते पानी बहकर नीचे चला जाता है। यही वजह है कि गर्मी के समय यहां पानी की भीषण कमी हो जाती है। छोटे-छोटे बांध बनाकर गांव वालों की इस परेशानी को दूर कर दिया गया है। तीनों बांधों की जल भंडारण क्षमता 3.50 करोड़ लीटर है जिससे आसपास के गांवों के रहिवासियों की पानी की समस्या दूर हो जाएगी।
गुप्ता दंपति की पहल से दूर हुई परेशानी
तीनों गांवों में बांध बनाने की पहल उद्योगपति दंपति दिनेश गुप्ता और उनकी पत्नी कविता गुप्ता ने की। कविता गुप्ता ने बताया कि बच्चे बड़े हो गए हैं उनकी शादी कर दी और वे अब विदेश में रहते हैं ऐसे में मैंने और मेरे पति ने अपना ज्यादातर समय समाजसेवा के लिए देने का फैसला किया है। इसके लिए हमने ध्रुव अनाइका फाउंडेशन की स्थापना की। हम आदिवासी गांवों में जाकर लोगों से पूछते थे कि उनके लिए क्या कर सकते हैं। इसी कड़ी में हम भोर नाम के आदिवासी गांव गए तो वहां के लोगों ने बताया कि वहां पानी की बहुत परेशानी है। अगर बांध बन जाए तो अच्छा होगा। हमने काफी कोशिश की लेकिन प्रशासन से बांध बनाने के लिए जमीन नहीं मिली। लेकिन हमें तब रास्ता मिलाजब हमदूसरे गांव में पहुंचे जहांपानी की वैसी ही समस्या थी। वहां प्रशासन की मदद से छोटे बांध बनाने का काम शुरू किया।
अब तक तीन बांध बनाए हैं और फिलहाल 8 और बांध बनाने की योजना है।32 लाख रुपए खर्च कर तैयार किए गए दो बांधों का उद्घाटन पिछले सप्ताह ही किया गया है। इसके अलावा जो सरकारी बांध टूटे हैं अगर इजाजत मिली तो उनकी भी मरम्मत कराएंगे। हमने एक टेक्निकल टीम तैयार की है जो बांध बनाने से पहले पूरी जानकारी इकठ्ठा करती है। फिर प्रशासन से मंजूरी लेकर ही काम किया जाता है। फिलहाल इसके लिए लगने वाला खर्च हमारी कंपनी और फाउंडेशन उठाते हैं। गुप्ता दंपति के काम को देखते हुए अब उन्हें लोग चेक डैम कपल कहकर बुलाने लगे हैं।
इनकी भी मिली मदद
बांध बनाने की इस मुहिम में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ दिगानता फाउंडेशन और लायंस क्लब ऑफ मिलेनियम की ओर से भी सहयोग मिला है। इन संस्थाओं से जुड़े डॉ प्रशांत पाटील और डॉ प्रेम अग्रवाल ने भी काफी मदद की।