जनहित याचिका: गोदावरी नदी के बांधों से नासिक और अहमदनगर के लिए पानी के उचित वितरण की मांग
- बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका सुनवाई
- जीएमआईडीसी के 30 अक्टूबर को जारी आदेश को चुनौती
- 5 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। गोदावरी नदी के बांध से नासिक और अहमदनगर को पानी के उचित वितरण की मांग की जा रही है। इसको लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर दो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार और महाराष्ट्र जलसंपत्ती नियमन प्राधिकरण (एमडब्ल्यूआरआरए) को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को भाष्कर अवारे और नासिक स्थित स्वर्गीय राजाभाऊ तुगर सहकारी उपसा सिंचन संस्था मर्यादित नामक सहकारी समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता भास्कर अवारे के वकील नितिन गवारे पाटिल ने दलील दी कि नासिक और अहमदनगर के किसान गोदावरी नदी के मुला, प्रवरा, गंगापुर, गोदावरी और पालखेड बांध समूहों के पानी पर निर्भर हैं। किसानों के लिए खेती ही आय का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में नासिक और अहमदनगर में पानी का उचित वितरण किया जाना चाहिए।
याचिका में गोदावरी मराठवाड़ा सिंचाई विकास निगम (जीएमआईडीसी) द्वारा इस साल 30 अक्टूबर को जारी किए गए उस आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें गोदावरी नदी के बांध समूहों से जयकवाड़ी बांध तक 8.603 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी मराठवाड़ा के सूखाग्रस्त छत्रपति संभाजी नगर के आसपास के क्षेत्रों को छोड़ने का आदेश दिया गया है। यदि दिए गए आदेश के अनुसार पानी छोड़ा जाता है, तो नासिक और अहमदनगर के लोगों को पानी के गंभीर संकठ से गुजरना होगा। राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग ने 26 जुलाई को एक सरकारी संकल्प जारी किया था, जिसमें जल वितरण आवश्यकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है। जीएमआईडीसी ने इस बीच पानी छोड़ने का आदेश जारी किया। यह कार्रवाई मनमानी और कानून के विपरीत है। गोदावरी नदी के बांधों में इस वर्ष औसत वर्षा केवल 52 फीसदी हुई है, जिससे क्षेत्र के कुओं में जल स्तर में काफी कमी आई।