खुलासा : डिलीवरी वाहन बिगाड़ रहे देश का पर्यावरण, दिख रहा जलवायु और स्वास्थ्य पर असर

  • रिसर्च में हुआ खुलासा
  • 80 लाख टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का होगा वार्षिक उत्सर्जन
  • डिलीवरी वाहन बिगाड़ रहे देश का पर्यावरण

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-24 16:16 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए अन्य कारणों में से के एक लास्ट माइल डिलीवरी वाहनों को भी जिम्मेदार माना जा है। वर्ष 2030 तक इन वाहनों से 80 लाख टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का वार्षिक उत्सर्जन होगा। यह खुलासा हाल ही में किए गए एक रिसर्च के निष्कर्ष में हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो आनेवाले दिनों में यही उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करेगा। साथ ही इसके दुष्परिणाम आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी दिखाई देंगे। प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कंपनियों के पास ठोस ऐक्शन प्लान नहीं

ग्लोबल क्लीन मोबिलिटी कलेक्टिव (सीएमसी) और स्टैंडर्ड अर्थ रिसर्च ग्रुप (एसआरजी) ने एक वैश्विक शोध किया है। इस शोध के निष्कर्षों के मुताबिक, देश के ई-कॉमर्स बाजार में 2030 तक मौजूदा स्तर से दस गुना वृद्धि का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में प्रति वर्ष 400 करोड़ पार्सल की डिलीवरी की जाती है। वर्ष 2030 तक यह बढ़कर 4,000 करोड़ पार्सल हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि 2023 से 2030 तक अगर व्यापार का यही वर्तमान परिदृश्य बना रहा, तो देश की लॉजिस्टिक मार्केट की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कंपनियां सामूहिक रूप से अतिरिक्त 1.7 करोड़ टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन करेंगी। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि विश्व स्तर पर अधिकांश कंपनियों के पास 2030 तक अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए ठोस ऐक्शन प्लान नहीं है।

100 करोड़ पेड़ लगाने की पड़ी जरूरत

रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि सिर्फ 2022 में डिलीवरी सेक्टर से हुए उत्सर्जन को वायुमंडल से अलग करने के लिए हर साल 100 करोड़ से अधिक पेड़ लगा कर इन्हें एक दशक तक बड़ा करने की आवश्यकता पड़ी है। इसके साथ ही हर साल इस सेक्टर से होनेवाला 80 लाख टन उत्सर्जन एक वर्ष में 16.5 लाख पेट्रोल कारों या गैस से चलने वाले 20 बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है।

सिद्धार्थ श्रीनिवास, इंडिया कोऑर्डिनेटर- ग्लोबल क्लीन मोबिलिटी कलेक्टिव के मुताबिक आने वाले वर्षों में ई-कॉमर्स और तेजी से बढ़ेगा, ऐसे में उद्योग को अपने बढ़ते इमिशन फुटप्रिंट की समस्या से निपटने की आवश्यकता है।

डॉ. देवयानी सिंह. इन्वेस्टिगेटिव रिसर्चर स्टैंडर्ड अर्थ रिसर्च ग्रुप के मुताबिक यदि ई-कॉमर्स कंपनियां 2030 से पहले व्यापक पहल करने में विफल रहती हैं, तो लास्ट-माइल डिलीवरी की बहुत तेज वृद्धि का जलवायु और स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

एक पार्सल से 280 ग्राम उत्सर्जन का योगदान

बीते वर्ष किए गए एक शोध में यह पाया गया कि देश में एक पार्सल की डिलीवरी से 280 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड ला उत्सर्जन होता है। इसके साथ ही एक शोध में भी पाया गया कि देश में कुल होने वाले उत्सर्जन में डिलीवरी वाहन के उत्सर्जन का 50 फीसदी रहा है। वर्ष 2021 में देश के पांच शहरों में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि इन डिलीवरी वाहनों से मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू और दिल्ली में 3,40,000 टन का वार्षिक उत्सर्जन होता है।

10 गुना वृद्धि का अनुमान देश के ई-कॉमर्स बाजार में 2030 तक

400 करोड़ पार्सल की डिलीवरी हर साल देश में

4,000 करोड़ पार्सल होने का अनुमान 2030 तक

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