लोक रण: भाजपा की सियासी नैया पार लगाएंगे दलबदलू, आयातित को टिकट देने में पार्टी अव्वल

  • भाजपा की सियासी नैया ऐेसे लगेगी पार
  • आयातित उम्मीदवारों को टिकट देने में पार्टी सबसे आगे
  • दूसरे दलों ने भी दलबदलुओं को साधा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-02 15:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, अजीत कुमार। सियासत में कोई अपना या पराया नहीं होता। यहां बस देखा जाता है कि किसके सहारे सियासी नैया पार लगेगी। यही वजह है कि विचारधारा के नाम पर पानी पी-पीकर कोसने वाले दलबदलू नेताओं को भी गले लगाने का सिलसिला जारी है। वैसे तो 2024 के चुनाव में दलबदलुओं को तरजीह देने में सभी पार्टियां शामिल हैं, लेकिन आयातित नेताओं को थोक के भाव में टिकट देने में भाजपा सबसे आगे है। हो भी क्यों न, भाजपा को अपनी 370 सीटें और एनडीए की 400 से ज्यादा सीटें जीतने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाना जो है। हरियाणा हो या पश्चिम बंगाल, तेलंगाना हो या आन्ध्रप्रदेश, अब तक 400 से अधिक उम्मीदवार घोषित कर चुकी भगवा पार्टी ने दलबदलू नेताओं पर खूब भरोसा जताया है। हालांकि एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि 2019 चुनाव में विभिन्न दलों ने दूसरे दलों से आने वाले 75 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 47 उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा था। भाजपा ने चुनाव से ऐन पहले भगवाधारी बने बसपा सांसद रितेश पांडे को अंबेडकरनगर से, महाराष्ट्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके कृपाशंकर सिंह को जौनपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कुछ घंटे पहले पार्टी में शामिल हुए नवीन जिंदल को कुरूक्षेत्र की जंग में झोंक दिया है। इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस से आए सांसद अर्जुन सिंह को बैरकपुर सीट से तो बीजद के धाकड़ नेता भत्तृहरि महताब को कटक से उम्मीदवारी दी है।

अमरावती में नवनीत राणा पर भरोसा

भाजपा ने अमरावती से मौजूदा निर्दलीय सांसद नवनीत राणा पर दांव लगाया है तो निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को हिसार से आजमाने का फैसला किया है। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अशोक तंवर को पार्टी ने सिरसा से तो पंजाब में आम आदमी पार्टी के एकमात्र सांसद सुशील कुमार रिंकू को जालंधर से मैंदान में उतारा है। झारखंड में कांग्रेस की इकलौती सांसद गीता कोड़ा को भाजपा ने सिंहभूम से तो झामुमो की विधायक सीता सोरेन को दुमका से प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारे पास योग्य उम्मीदवारों की कमी नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि राजनीति में कई पहलुओं पर विचार कर टिकट दिया जाता है।

दूसरे दलों ने भी साधा दलबदलुओं को

भाजपा की तरह दूसरे दलों ने भी ‘आया-राम गया-राम’ के खेल में शामिल रहे चेहरों को अपना मोहरा बनाया है। कांग्रेस ने दो बार के भाजपा सांसद राहुल कांस्वा को चुरू सीट से उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा से आए प्रहलाद गुंजल को कोटा में खड़ा कर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की मुश्किलें बढ़ा दी है। कांग्रेस ने आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्‌डी की बहन वाईएस शर्मिला रेड्‌डी को कडपा से उम्मीदवारी दी है। इसी प्रकार राजद ने जदयू से आए तीन नेताओं एमएए फातमी को मधुबनी से, बीमा भारती को पूर्णिया से और औरंगाबाद से अभय कुशवाहा को मैंदान में उतारकर अपनी उम्मीदें बढ़ाई है। शिवसेना (शिंदे) ने कांग्रेस विधायक राजू पारवे को तोड़कर उन्हें रामटेक से उम्मीदवारी दी है तो तृणमूल कांग्रेस ने दल बदलने वाले बिस्वजीत दास (बोंगाई), कृष्णा कल्याणी (रायगंज) और मुकुटमणि अधिकारी (राणाघाट) को मैंदान में उतारा है।

दलबदलू नेता - भाजपा से टिकट - पहले की पार्टी

जितिन प्रसाद - पीलीभीत - कांग्रेस

तापस राय - कोलकाता उत्तर - तृणमूल कांग्रेस

शीलभद्र दत्ता - दमदम - तृणमूल कांग्रेस

ज्योतिरादित्य सिंधिया - गुना - कांग्रेस

रवनीत सिंह बिट्‌टू - लुधियाना - कांग्रेस

अनिल एंटनी - पथनाथिट्‌टा - कांग्रेस

प्रणीत कौर - पटियाला - कांग्रेस

ज्योति मिर्धा - नागौर - कांग्रेस

महेन्द्रजीत मालवीय - बांसवाड़ा - कांग्रेस

चिंतामणि महाराज - सरगुजा - कांग्रेस

जी नागेश - आदिलाबाद - बीआरएस

ए सीताराम नाईक - महबूबाबाद - बीआरएस

सैदा रेड्‌डी - नलगोंडा - बीआरएस

बीबी पाटील - जहीराबाद - बीआरएस

पी भारत - नागरकरनूल - बीआरएस

ए राजेन्द्र - मलकागिरी - बीआरएस

ए रमेश - वारंंगल - बीआरएस

किरण के रेड्‌डी - राजमपेट - कांग्रेस

आई के गीता - अराकू - वाईएसआर कांग्रेस

सीएम रमेश - अनाकापल्ली - टीडीपी

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