विधायकों की अयोग्यता मामला: शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मामले में आएगा फैसला, उद्धव ने कहा - न्याय की अपेक्षा कैसे करें
- नार्वेकर की शिंदे से मुलाकात पर उद्धव ठाकरे बोले
- जज अगर आरोपी से मिल रहा है तो न्याय की अपेक्षा कैसे करें
- उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना (शिंदे) विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला बुधवार को आएगा। फैसला आने से पहले शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुलाकात पर सवाल उठाए हैं। ठाकरे गुट ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। ठाकरे ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल नार्वेकर विधायकों की अयोग्यता की सुनवाई के दौरान दो बार मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। लेकिन एक प्रकार से यह जज का आरोपी से मिलना लगता है। क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता के इस मामले में एक तरह से न्यायमूर्ति की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आरोपी की। ठाकरे ने कहा कि यह फैसला तय करेगा कि देश में लोकतंत्र है या नहीं। ठाकरे के आरोपों पर राहुल नार्वेकर ने कहा है कि अध्यक्ष के आलावा भी दूसरे कार्य होते हैं, यह बात उद्धव ठाकरे को पता होनी चाहिए।
ठाकरे ने कहा कि न्यायमूर्ति बार-बार आरोपी से मिल रहे हैं, इससे यह लोकतंत्र का खून होने जैसा है। उन्होंने कहा कि नार्वेकर के मुख्यमंत्री के निवास स्थान पर जाने से यह प्रतीत होता है कि कहीं दोनों में कोई मिली भगत तो नहीं है? जब न्यायमूर्ति ही खुद आरोपी से मिलने के लिए जा रहा है तो फिर आप इस मामले में न्याय की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? ठाकरे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष लगभग 2 साल से इस मामले को लटकाए हुए हैं लेकिन इसका फैसला 2 महीने में भी हो सकता था।
कानून के जानकार भी यह कह रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष सिर्फ समय जाया कर रहे हैं और वह किसी के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही फैसला कुछ भी हो लेकिन आखिरी फैसला जनता की अदालत में ही होगा। ठाकरे ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर तक इस मामले में फैसला सुनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को समय दिया था, लेकिन उसके बाद समय सीमा को 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया। मुझे ऐसी उम्मीद है कि 10 जनवरी की रात 11 बजकर 59 मिनट और 59 सेकंड तक नार्वेकर समय को खींचेंगे।
राहुल नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग खुद पूर्व मुख्यमंत्री बन गए हैं, उन्हें अध्यक्ष के काम के बारे में पता होना चाहिए। अभी अगर इस तरह के आरोप लगाएंगे तो साफ है कि इसके पीछे उनकी दूसरी मंशा है। विधानसभा अध्यक्ष के अलावा भी राज्य से संबंधित अन्य मुद्दे भी हैं। इसके अलावा स्वयं वह एक विधायक हैं इसलिए उनके विधानसभा क्षेत्र में आठ सड़कों के कांक्रीटीकरण का काम रोक दिया गया है, जिसके चलते उन्होंने शिंदे से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि मंगलवार को मुंबई हवाई अड्डे पर उनकी मुलाकात शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटील और ठाकरे गुट के नेता अनिल देसाई से हुई, तो क्या वह भी जानबूझकर था। उन्होंने कहा कि सुनील प्रभु और अजय चौधरी आपके नेता मुझे मिले। तो क्या मुझे उनसे नहीं मिलना चाहिए था।
क्या है मामला?
जून 2022 में शिवसेना में बड़ी फूट के बाद एकनाथ शिंदे के एक गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री शपथ ली थी। जिसके चलते उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। इसके बाद ठाकरे ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दाखिल की थी।
विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को फैसला लेने के लिए कहा था। इस मामले में लगभग तीन महीने तक सुनवाई हुई। अब बुधवार को फैसले की घड़ी आ गई है। अगर शिंदे को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो फिर राज्य में अस्थिरता के हालात बन सकते हैं। हालांकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि शिंदे गुट का पक्ष मजबूत है, इसलिए राज्य सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है।