बॉम्बे हाईकोर्ट: दाऊदी बोहरा उत्तराधिकार की याचिका खारिज, सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन का दावा बरकरार

  • सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की स्थिति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज
  • सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के दावे को बरकरार रखा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-23 15:35 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने दाऊदी बोहरा समुदाय के 53 वें धार्मिक नेता के रूप में सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की स्थिति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के दावे को बरकरार रखा और उनके भतीजे ताहिर फखरुद्दीन के दावे को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति गौतम एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल आर. खाता की खंडपीठ ने मंगलवार सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के भतीजे ताहिर फखरुद्दीन की साल 2014 में दाखिल याचिका पर दस साल बाद अपना फैसला सुनाया।

खंडपीठ ने फखरुद्दीन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें धार्मिक नेता या 'दाई-अल-मुतलक' हैं। दाऊदी बोहरा शिया इस्लाम की इस्माइली शाखा के भीतर एक संप्रदाय है। यह याचिका मूल रूप से मार्च 2014 में सैयदना खुजैमा कुतुबुद्दीन द्वारा दायर की गई थी। याचिका में 52वें दाई अल-मुतलक द्वारा 53वें दाई अल-मुतलक (या आध्यात्मिक नेता और 1.5 मिलियन मजबूत दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रमुख) के रूप में उनके सौतेले भाई सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन को नियुक्त को चुनौती दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें दिसंबर 1965 में 52वें दाई द्वारा "नास" से सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्हें "नास" से सम्मानित किए जाने के बावजूद 52वें दाई के बेटे सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने खुद को 53वें दाई होने की घोषणा की थी।17 जनवरी 2014 को अपने पिता के निधन के बाद दाई ने समुदाय और उसकी संपत्तियों पर नियंत्रण कर लिया। दाऊदी बोहरा संप्रदाय द्वारा उत्तराधिकार की आधिकारिक घोषणा था, जो समुदाय का नेतृत्व संभालने की लड़ाई में उलझा हुआ था।

याचिकाकर्ता ने यह घोषणा करने की भी अनुरोध किया था कि 53वें दाई अल-मुतलक के रूप में वह दाऊदी बोहरा समुदाय की सभी अचल और चल संपत्तियों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन के भी हकदार हैं। वह सैफी महल के भी हकदार हैं। मालाबार हिल में, जहां दाई अल-मुतलक का आधिकारिक कार्यालय-सह-निवास है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को सैफी मस्जिद, रौदत ताहेरा और अन्य सभी सामुदायिक संपत्तियों, जैसे मस्जिदों, दार उल-इमारतों, सामुदायिक हॉलों, मकबरों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और कब्रिस्तानों में प्रवेश करने से रोकने की भी अनुरोध किया था। हालांकि ट्रायल के दौरान 2016 में कुतुबुद्दीन की मौत हो गई।

इसके बाद उनके बेटे सैयदना ताहेर फखरुद्दीन ने हाई कोर्ट में एक आवेदन दायर कर मुकदमे में अपने पिता की जगह लेने का अनुरोध किया। फखरुद्दीन ने दावा किया कि उन्हें उनके पिता ने नास की उपाधि दी थी और उन्होंने 54वें दाई होने का दावा किया था। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने दावा किया कि उन्हें 52वें दाई द्वारा उनके उत्तराधिकारी के रूप में वैध रूप से नियुक्त किया गया है। 17 जनवरी 2014 को 52वें दाई की मृत्यु के बाद उन्होंने पदभार ग्रहण किया। उन्होंने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि उन्हें उनके द्वारा "नास" से सम्मानित किया गया था। उनके पिता 2011 में लंदन के एक अस्पताल में थे और एक पखवाड़े बाद उनके पिता ने मुंबई में सार्वजनिक रूप से उनके उत्तराधिकार की घोषणा की।

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