बॉम्बे हाईकोर्ट: ट्रांसजेंडर को मिली जमानत, एक सत्र न्यायालय की रूढ़िवादी टिप्पणियों की आलोचना
- पंढरपुर की सत्र अदालत एक तृतीयपंथी व्यक्ति पर की थी टिप्पणी
- हाईकोर्ट से तृतीयपंथी व्यक्ति को मिली जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में तृतीयपंथी(ट्रांसजेंडर)व्यक्तियों के खिलाफ एक एक सत्र न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणी की आलोचना की। न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि यह सर्वविदित है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लोगों को परेशान करते हैं। तृतीयपंथी व्यक्ति दुस्साहसी, उपद्रवी और दुष्ट होते जा रहे हैं। न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकलपीठ ने तृतीयपंथी की याचिका पर सत्र न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि ऐसी टिप्पणियां अनावश्यक हैं
तृतीयपंथी व्यक्ति भी इस देश के नागरिक हैं और वे भी सम्मान के साथ जीने के अधिकार के हकदार हैं। पीठ ने कहा कि तृतीयपंथी व्यक्ति के व्यवहार के संबंध में इस तरह की रूढ़िवादी और असम्मानीय टिप्पणियां अनावश्यक हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। इसमें जीवन जीने का अधिकार भी शामिल है। जो टिप्पणियां विवादित आदेश के पैराग्राफ संख्या 19 से 21 में दर्ज की गई हैं, उन्हें दर्ज नहीं किया जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ता तृतीयपंथी पर पंढरपुर के विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में आने वाले एक भक्त को परेशान करने और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था। उन पर पैसे मांगने, मारपीट करने और जबरन निर्वस्त्र करने का भी आरोप लगाया गया था। अपने कथित कृत्यों के लिए याचिकाकर्ता पर 3 दिसंबर 2023 को भारतीय दंड संहिता और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। तृतीयपंथी ने पंढरपुर सत्र न्यायालय में जमानत याचिका दायर किया।
सत्र न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की। इसके बाद उन्होंने जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मामले में जांच पूरी हो गई है। आरोपपत्र अभी दाखिल नहीं किया गया है। मुकदमे के जल्द ही समाप्त होने की संभावना नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए 5 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।