संज्ञान: अदालत ने ध्वनि प्रदूषण नहीं रोक पाने पर मुंबई पुलिस को लगाई फटकार
- लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई पुलिस की ड्यूटी... बॉम्बे हाई कोर्ट
- पुलिस उपायुक्त को हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई पुलिस की ड्यूटी है। कुर्ला (पूर्व) के नेहरू नगर और चूनाभट्टी इलाके में बिना पुलिस के परमीशन से मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इसको लेकर अदालत ने परिमंडल-6 के पुलिस उपायुक्त को हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को रखी गई है।
न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम छगनलाल चंदक की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को न जागो नेहरू नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिजीत कुलकर्णी की ओर से वकील कौशिक म्हात्रे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि मस्जिद के लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए पुलिस ने क्या कार्रवाई है? जब पुलिस ने मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने और बजाने की अनुमति नहीं दी है, तो पुलिस की लाउडस्पीकर से होने वाली ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है। अदालत ने इस मामले में परिमंडल-6 के पुलिस उपायुक्त को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता की दलील है कि ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है। किसी अन्य व्यक्ति का अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और प्रचार करने का संवैधानिक अधिकार दूसरे व्यक्ति के जीवन के अपरिहार्य अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
….कुर्ला (पूर्व) नेहरू नगर और चूनाभट्टी के बिलाली, जमीयत कुरैश, बड़ी कब्रिस्तान और नूर मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है।
...2005 में सुप्रीम कोर्ट ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई है।
....बॉम्बे हाई कोर्ट ने आवासीय क्षेत्रों में दिन और रात के समय शोर का स्तर क्रमशः 45 डेसिबल और 55 डेसिबल निर्धारित किया है।
....2016 के अदालत के फैसले के मुताबिक कोई भी धर्म या संप्रदाय संविधान के तहत लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार के रूप में नहीं दावा नहीं कर सकता है।