बॉम्बे हाईकोर्ट: दो कपल्स को अदालत ने दी सरोगेसी की इजाजत, किराए की कोख लेने लगाई थी याचिका

  • कपल्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरोगेसी (किराए की कोख लेने) की मांगी थी इजाजत
  • वकील तेजश दांडे की याचिका पर सुनवाई हुई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-09 16:03 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने दो जोड़े (कपल्स) को सरोगेसी की इजाजत दी है। उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर 14 मार्च 2023 की केंद्रीय अधिसूचना को चुनौती देते हुए सरोगेसी के लिए कोख लेने की अनुमति का अनुरोध किया था। अधिसूचना सरोगेसी के लिए जोड़े को कोख लेने की अनुमति देता है, लेकिन कोख देने को अस्वीकार करता है। एक अकेली महिला (विधवा या तलाकशुदा) को इस प्रक्रिया का लाभ उठाने के लिए स्व-अंडे का उपयोग करना होगा। न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पी.पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को दो जोड़ों (कपल्स) की ओर से वकील तेजश दांडे की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की 14 मार्च 2023 की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें सरोगेसी (विनियमन) नियमों के तहत सहमति फॉर्म में एक नया खंड जोड़ा गया था।

याचिकाकर्ता महिला 36 साल और उनकी पति 37 साल के हैं। दोनों प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। और प्राइवेट कंपनी में काम करती है। उन्होंने 29 अप्रैल 2013 को शादी की थी। याचिकाकर्ता महिला कई तरह की बीमारियों से जूझ रही है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक उनका गर्भधारण करना बेहद मुश्किल है। उनकी मां समेत परिवार में भी कोई नहीं है, जो सरोगेसी के लिए अपना कोख दे सके। ऐसे में उन्हें बाहर से सरोगेसी के लिए कोख लेने की इजाजत दी जाए। वह सरोगेसी प्रक्रिया पूरा करने के लिए तैयार है। दूसरा याचिकाकर्ता 37 वर्षीय व्यक्ति है, जिसने अदालत से सरोगेसी का अनुरोध किया।

याचिकाकर्ता के वकील दांडे ने दलील दी कि न तो सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम और न ही नियम कोख देने को प्रतिबंधित करते हैं। जबकि नए अधिसूचना के नियम 7 के तहत फॉर्म 2 के खंड संख्या 1 (डी) में सरोगेसी प्रक्रिया के लिए सरोगेट मां की सहमति और समझौते की पुष्टि करना महत्वपूर्ण है, जिसमें विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि भ्रूण को सरोगेट मां में प्रत्यारोपित किया जाता है। इच्छुक जोड़े के मामले में पति के शुक्राणुओं के साथ अंडाणु दाता के अंडों को निषेचित करके किया जा सकता है। सरोगेसी का विकल्प उन महिलाओं के लिए है, जो प्रजनन संबंधी मुद्दों, गर्भपात या जोखिम भरे गर्भावस्था के कारण गर्भ धारण नहीं कर सकतीं हैं. सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के अंडे के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है। अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है।

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