सियासत: राज्य की राजनीति से दूर हो रहे मुख्यमंत्री पद के दावेदार, प्रतिद्वंदी हुए किनारे
- भाजपा में देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक प्रतिद्वंदी हुए किनारे
- तावडे से बाद मुनगंटीवार व पंकजा भी संसद की राह पर
डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। राज्य की राजनीति में सक्रिय दो नेताओं को भाजपा ने लोकसभा का टिकट थमा दिया है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने चंद्रपुर सीट से प्रदेश के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को उम्मीदवार बनाया तो पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे बीड से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षामंत्री चंद्रकांत पाटील को भी कोल्हापुर से लोकसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा है। महाराष्ट्र भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदार एक-एक कर दिल्ली जा रहे हैं। इसके पहले महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे विनोद तावडे को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बता कर दिल्ली भेजा गया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी लहर के चलते भाजपा को भारी सफलता मिली थी। इसके बाद हुए साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मोदी लहर पर सवार होकर सत्ता में आई। उस समय विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे और देवेंद्र फडणवीस थे। इसके अलावा मराठा नेता के रूप में विनोद तावडे और ओबीसी चेहरे के रूप में पंकजा मुंडे और सुधीर मुनगंटीवार भी मुख्यमंत्री पद के रेस में थे। भाजपा सरकार में चाहे-अनचाहे मुख्यमंत्री पद के लिए तत्कालीन राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील के नाम की भी चर्चा होती थी। लेकिन अब तावडे पार्टी की केंद्रीय राजनीति में जम गए हैं। खडसे को भाजपा छोड़कर राकांपा (शरद) में शामिल होना पड़ा। अब पंकजा और मुनगंटीवार को लोकसभा की उम्मीदवारी मिली है। जबकि राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील भी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। अगर भाजपा कोल्हापुर सीट से पाटील को प्रत्याशी बनाती है तो प्रदेश भाजपा में फडणवीस के समकक्ष सभी वरिष्ठ नेता दिल्ली चले जाएंगे।
विनोद तावडे
विनोद तावडे साल 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद गृहमंत्री पद चाहते थे। लेकिन उन्हें स्कूली शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री पद से संतोष करना पड़ा। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बोरिवली सीट से टिकट कटने के बाद तावडे दिल्ली की राजनीतिक में सक्रिय हो गए। तावडे भाजपा के केंद्रीय महासचिव के रूप में काम कर रहे हैं। हालांकि हाल के दिनों में तावडे का कद पार्टी में बढ़ा है। उनकी राज्य की राजनीति में कब वापसी हो जाए, इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।
एकनाथ खडसे
साल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने युवा और तेज तर्रार नेता फडणवीस पर भरोसा जताया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद एकनाथ खडसे की नाराजगी सामने आई थी। सोलापुर के पंढरपुर में खडसे ने कहा था कि मुख्यमंत्री बहुजन समाज का होता तो अच्छा रहता। इसके बाद से फडणवीस और खडसे के बीच दूरियां बढ़ती गई। फिर पुणे के भोसरी में जमीन खरीदी मामले में खडसे को जून 2016 में इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद खडसे भाजपा में कभी वापसी नहीं कर पाए। आखिरकार उन्हें साल 2020 में भाजपा से इस्तीफा देकर राकांपा में शामिल होना पड़ा। खडसे फिलहाल राकांपा (शरद) के विधायक हैं।
पंकजा मुंडे
भाजपा की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे साल 2014 में राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री और जलसंरक्षण मंत्री थी। मंत्री बनने के कुछ महीनों बाद पंकजा ने छत्रपति संभाजीनगर में अपने आप को "जनता के मन का मुख्यमंत्री' बताया था। बाद में पंकजा को जलसंरक्षण विभाग गंवाना पड़ा था। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीड़ की परली सीट से हार का भी सामना करना पड़ा। इसके बाद साढ़े चार साल तक राजनीतिक वनवास झलने के बाद पंकजा को अब लोकसभा का टिकट मिला है।
सुधीर मुनगंटीवार
साल 2014 में वित्त और वन मंत्री बनने के बाद सुधीर मुनगंटीवार की भाजपा सरकार में नंबर तीन की हैसियत थी। लेकिन जून 2022 में शिंदे सरकार में बनने के बाद मुनगंटीवार के पर कतर लिए गए। फिलहाल वे वन, सांस्कृतिक कार्य और मस्त्य व्यवसाय विभाग के मंत्री हैं। अब उन्हें चंद्रपुर सीट से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है।
चंद्रकांत पाटील
भाजपा सरकार में तत्कालीन मंत्री एकनाथ खडसे के इस्तीफे के बाद से चंद्रकांत पाटील का कद नंबर दो का हो गया था। लेकिन शिंदे सरकार में पाटील को अपेक्षा के विपरित कम दबदबे वाला विभाग मिला। पाटील ने कहा है कि यदि पार्टी आदेश देगी तो मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा। कोल्हापुर मेरा गृह जिला और घर है। मैंने पार्टी के कहने पर साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पुणे के कोथरूड सीट से चुनाव लड़ा था। अब यदि पार्टी मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो मैं इसके लिए तैयार हूं।