धोखाधड़ी मामला: शिवसेना के उद्धव गुट के नेता संजय राऊत के करीबी को किला कोर्ट से मिली जमानत
- पिछले साल आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पाटकर को किया था गिरफ्तार
- जम्बो कोविड सेंटर धोखाधड़ी मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना जम्बो सेंटर धोखाधड़ी में शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर को किला कोर्ट से ईओडब्ल्यू मामले में जमानत मिल गई है। उन्हें बिना आदेश के देश छोड़ने पर प्रतिबंध है। हालांकि पाटकर को जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उन्हें प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के मनी लांड्रिंग मामले में जमानत नहीं मिली है। किला कोर्ट ने सोमवार को सुजीत पाटकर के आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दिया। हालांकि अदालत ने पाटकर पासपोर्ट जमा करने और बिना अनुमति के देश से बाहर जाने पर रोक लगाया है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पिछले साल अगस्त में पाटकर को गिरफ्तार किया था। इससे पहले ईडी ने उन पर मनी लांड्रिंग मामले में कार्रवाई की थी। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में पाटकर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि कोरोना महामारी के दहिसर और वर्ली में मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से अनुबंध हासिल कर दो अस्थाई जंबो कोविड सेंटर बनाया गया था, जिसमें 36 करोड़ रुपए का धोखाधड़ी की थी। बाद में मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया था। ईडी ने इसी से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले पाटकर पर कार्रवाई की थी।
अदालत ने मनोज जरांगे-पाटिल पर लगे आरोपों की सरकार से मांगी रिपोर्ट
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध के बीच राज्य सरकार मूकदर्शक नहीं रह सकती है। सरकार के पास राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां हैं। अदालत ने सरकार से मराठा नेता मनोज जरांगे-पाटिल पर लगे आरोपों की सरकार से रिपोर्ट मांगा है। 5 मार्च को मामले में अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को मराठा आरक्षण के लिए जरांगे-पाटिल के विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ गुणरत्न सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ता सदावर्ते ने पीठ को बताया कि महाराष्ट्र में कई जगहों पर आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा की घटनाओं के बाद पूरे महाराष्ट्र में 267 केस दर्ज किए गए हैं। इस पर जरांगे-पाटिल के वकील वी.एम.थोरात ने खंडपीठ से कहा कि ये राजनीतिक मुद्दे हैं और इन्हें कोर्ट में नहीं लाया जाना चाहिए।