आरक्षण केंद्र: टिकट विंडो पर नहीं चलेगी बुकिंग क्लर्क की चालाकी, लगेंगे ड्यूएल डिस्प्ले इंफॉर्मेशन सिस्टम
- मुंबई से सूरत और उधना से नंदुरबार के आरक्षण केंद्र पर लगाए जा रहे
- आरक्षण केंद्रों पर लगेंगे 379 ड्यूएल डिस्प्ले इंफॉर्मेशन सिस्टम
- बुकिंग क्लर्क की चालाकी नहीं चलेगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। रेलवे के आरक्षण केंद्रों और टिकट विंडो पर पर अब टिकट बाबू (बुकिंग क्लर्क) की चालाकी नहीं चलेगी। रेल प्रशासन बुकिंग काउंटरों पर ड्यूएल डिस्प्ले इंफार्मेशन सिस्टम लगाने की तैयारी में है। इसके माध्यम से सीट आरक्षित कराने आए लोगों को टिकट का मूल्य, जगह उपलब्ध है या नहीं, जैसी जानकारियां काउंटर पर लगे स्क्रीन पर दिखती रहेंगी। टिकट की ज्यादा कीमत वसूलने से जुड़ीं शिकायतें भी कम होंगी। छुट्टे पैसे न होने से जुड़ीं दिक्कतों का भी समाधान होगा।
आरक्षण केंद्रों पर लगेंगे 379 ड्यूएल डिस्प्ले इंफॉर्मेशन सिस्टम
रेल प्रशासन का कहना है कि ड्यूएल डिस्प्ले सिस्टम (डीडीआईएस) से यात्री सजग होंगे। स्क्रीन पर दिख रही रकम जितना ही भुगतान करना होगा। आरक्षण कराने आए व्यक्ति को यह भी पता चल जाएगा कि कंफर्म टिकट उपलब्ध है या नहीं। डीडीआईएस पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल के करीब 379 काउंटरों पर लगाए जाएंगे।
सामान्य टिकट में भी पारदर्शिता
एक अधिकारी ने बताया कि डीडीआईएस से आरक्षित ही नहीं सामान्य टिकट लेने वालों को भी सहूलियत होगी। उन्हें भी स्क्रीन पर टिकट की रकम दिखेगी। यात्री निश्चित रकम का भुगतान कर टिकट ले सकते हैं। इससे पार्दर्शिता बढ़ेगी और धांधली नहीं होगी।
नहीं चलेगा बुकिंग क्लर्क का बहाना
सामान्य टिकट लेने वाले अक्सर जल्दी में होते हैं। क्योंकि प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आनेवाली होती है। ऐसे में बुकिंग क्लर्क चेंज मांगते हैं। छुट्टे पैसे न होने पर यात्री टिकट लेकर ट्रेन पकड़ लेते हैं। अधिकारी का दावा है कि डीडीआईएस से इस समस्या का समाधान होगा।
मुंबई-सूरत के बीच लगाए जा रहे
यह सिस्टम पीआरएस और यूटीएस काउंटर पर लगाए जाएंगे। मुंबई से सूरत और उधना से नंदुरबार के बीच स्टेशनों के काउंटरों पर डीडीआईएस लगाए जा रहे हैं।
रेलवे को होगी कमाई
ड्यूल डिस्प्ले इनफार्मेशन सिस्टम निजी कंपनी लगाएगी। इसके एवज में कंपनी अपना विज्ञापन करेगी। डिस्प्ले के ऊपरी हिस्से में विज्ञापन चलेगा जबकि निचले हिस्से में टिकट से संबंधित जानकारी यात्री को मिलेगी। ठेका कंपनी से रेलवे को 5 साल में 2.44 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा।