बॉम्बे हाईकोर्ट: पति को झाड़ू से पीटने की आरोपी महिला के खिलाफ आरोप पत्र को किया खारिज
- आरोपी महिला के खिलाफ आरोप पत्र को किया खारिज
- पति को झाड़ू से पीटने की आरोपी
- अदालत ने पाया कि आईपीसी की धारा 324 के तहत अपराध के सबूत का अभाव
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने पति को झाड़ू से पीटने और उसका हाथ काटने की आरोपी महिला के खिलाफ दायर आरोप पत्र को खारिज कर दिया। अदालत ने पाया कि प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 324 के तहत अपराध को लेकर सबूत का अभाव पाया गया है। जबकि शिकायतकर्ता पति के चोट के प्रमाण पत्र से पता चलता है कि उसके दाहिने हाथ पर गंभीर चोट लगी है। न्यायमूर्ति प्रकाश डी.नाइक और न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर की खंडपीठ ने महिला की याचिका पर कहा कि पुलिस द्वारा मांगी गई मेडिकल रिपोर्ट पर राय से संकेत मिलता है कि शिकायतकर्ता के खुद से चोट पहुंचाए जाने की संभावना है। गवाह का बयान शिकायतकर्ता की बात का समर्थन नहीं करता है। आरोप-पत्र में याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध नहीं बनता है। याचिकाकर्ता के पति की शिकायत पर आईपीसी की धारा 324 (चोट पहुंचाना), 427 (शरारत), 504 (अपमान) और 506 (धमकी) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था। आरोप में दुर्व्यवहार और झाड़ू का उपयोग करके हमला करने के साथ-साथ शिकायतकर्ता का हाथ काटना भी शामिल था। याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता का मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें 30 अप्रैल 2022 को उनकी मृत्यु का संकेत दिया गया था। अदालत ने इस प्रमाण पत्र को रिकॉर्ड पर ले लिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सागर ए शाहनी ने दलील दी कि आईपीसी की धारा 324 के तहत अपराध को स्थापित करने के लिए आवश्यक तत्वों की कमी थी। अभियोजन पक्ष के गवाह ने शिकायतकर्ता के बयान की पुष्टि नहीं की। शिकायतकर्ता याचिकाकर्ता के साथ मारपीट करती थी। इसके अलावा चिकित्सकीय राय से संकेत मिलता है कि कथित चोटें स्वयं को पहुंचाई गई हो सकती हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बांद्रा फैमिली कोर्ट को याचिकाकर्ता के आवेदन को गंभीरता से सुनवाई का दिया निर्देश
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने बांद्रा फैमिली कोर्ट को याचिकाकर्ता दो जुड़वा बच्चों के पिता के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई करने का निर्देश दिया है। व्यवसाई पिता ने अपने दो जुड़वा बच्चों के साथ 20 दिसंबर को जन्मदिन और क्रिसमस मनाने की हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। दोनों जुड़वा बच्चों को लेकर मां दो साल से दुबई में रह रही है। न्यायमूर्ति ए.एस.चांदूरकर और फिरदोश पी.पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष मुलुंड के व्यवसाई की ओर से वकील वर्षा शेट्टी और मनोज बचाटे की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील रोहिणी वाघ ने दलील दी कि मुलुंड में रहने वाले याचिकाकर्ता प्रतिष्ठित व्यवसाई है। उसकी पत्नी उसके दो जुड़वा बच्चों को लेकर दुबई चली गई है और पिछले दो साल से वहीं रह रही है। याचिकाकर्ता को हर बार बच्चों से मिलने के लिए दुबई जाना पड़ता है। कई बार बच्चों की मां याचिकाकर्ता से बच्चों को मिलती नहीं है। इससे परेशान होकर याचिकर्ता ने बांद्रा फेमली कोर्ट में आवेदन कर 16 दिसंबर से 1 जनवरी 2024 तक बच्चों जन्मदिन और क्रिसमस मनाने के लिए गुहार लगाई थी। फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन को गंभीरता से न लेते हुए सुनवाई की तारिख 28 फरवरी 2024 रख दी। इसके बाद जुड़वा बच्चों के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किया। अदालत ने बांद्रे फैमिली कोर्ट को याचिकाकर्ता के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई करने का निर्देश कहा कि यदि उस तिथि पर फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश उपलब्ध नहीं रहेंगे, तो उनकी अनुपस्थिति में प्रधान न्यायाधीश को सुनवाई करेंगे।