अटकलों का बाजार: मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट की उम्मीदवारी को लेकर महायुति में ऊहापोह जारी
- कांग्रेस ने अब घोसालकर की बहु को उत्तर मुंबई से दिया चुनाव लड़ने का ऑफर
- पुत्र को लेकर असमंजस में पिता
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र | मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से महायुति का उम्मीदवार कौन है, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। शिवसेना (उद्धव) ने 32 दिन पहले अपना उम्मीदवार (अमोल कीर्तिकर) घोषित कर दिया, पर शिवसेना (शिंदे) की उम्मीदवारों की तलाश खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच ईडी की कार्रवाई से परेशान होकर उद्धव गुट से शिंदे गुट में आए विधायक रविंद्र वायकर का नाम सामने आया है। शिंदे गुट उन्हें इस सीट से उम्मीदवारी दे सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से शिवसेना उम्मीदवार गजानन कीर्तिकर सांसद चुने गए थे। गजानन फिलहाल शिंदे गुट के साथ हैं। शिंदे गुट के कई नेता टिकट पाने के इच्छुकों की कतार में थे, लेकिन संजय निरुपम के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद इस सीट से संभावित उम्मीदवार की लड़ाई और दिलचस्प हो गई है। शिंदे गुट ने पहले गोविंदा, माधुरी दीक्षित, सचिन पिलगांवकर जैसे फिल्मी सितारों के साथ पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर को मैदान से उतारने की कोशिश की।
ऐसे में पार्टी के मौजूदा नेताओं की टिकट पाने और मोदी मैजिक के जरिए सांसद बनने की उम्मीद और बढ़ गई है, लेकिन निरुपम के शिंदे गुट में शामिल होने की अटकलों से पहले से सीट पर नजर गड़ाए नेताओं की भौंहें तन गई हैं। अब ये नेता पार्टी के भीतर मराठी बनाम गैरमराठी उम्मीदवार की बहस को हवा देने में जुट गए हैं। शिंदे गुट के एक नेता ने दावा किया कि संजय निरुपम शिंदे सेना में शामिल ही नहीं होंगे। वे भाजपा का दामन थामेंगे और मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से कोई मराठी उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतारा जाएगा, क्योंकि ऐसा न होने पर शिवसेना (उद्धव) यहां मराठी बनाम गैरमराठी को मुद्दा बना सकती है। शिंदे गुट के जो नेता टिकट की दौड़ में शामिल हैं, उनमें प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत भी हैं। इसके अलावा हाल ही में शिंदे गुट में शामिल हुए रविंद्र वायकर के नाम पर भी चर्चा हो रही है।
पुत्र को लेकर असमंजस में पिता
शिवसेना शिंदे गुट के गजानन कीर्तिकर 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। वहीं शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने उनके बेटे अमोल कार्तिकर को इस सीट से मैदान में उतार दिया। ऐसे में कीर्तिकर ने पहले बेटे के खिलाफ चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन वे बार-बार अपना रुख बदल रहे हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि वे बेटे के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे और पार्टी चाहेगी तो फिर चुनाव मैदान में भी उतरेंगे। हालांकि खिचड़ी घोटाले में अमोल से ईडी की पूछताछ के बाद उनका दिल बेटे के लिए पिघल गया और उन्होंने कहा कि भाजपा उनके बेटे के साथ गलत कर रही है।
ठाणे सीट का पेच: सूत्रों के मुताबिक शिंदे गुट कल्याण के साथ ठाणे सीट पर भी दावा कर रहा है, ऐसे में भाजपा ठाणे के बदले उत्तर-पश्चिम सीट से दावा ठोंक सकती है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। माना जा रहा है कि इसी के चलते निरुपम अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं कि वे किस पार्टी में जा रहे हैं। जिसके खाते में सीट होगी, निरुपम उसी का रुख करेंगे।
भगवा का दबदबा: मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट के तहत आने वाले छह विधानसभा सीटों में से तीन गोरेगांव (विद्या ठाकुर), वर्सोवा (भारती लवेकर) और अंधेरी पश्चिम (अमित साटम) से भाजपा विधायक हैं। जोगेश्वरी पूर्व से विधायक रविंद्र वायकर शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं, जबकि अंधेरी पूर्व से ऋतुजा लटके और दिंडोशी से सुनील प्रभु उद्धव की अगुआई वाली शिवसेना के विधायक हैं। 2019 के चुनावों में गजानन कीर्तिकर शिवसेना-भाजपा के उम्मीदवार थे और उन्होंने 5 लाख 70 हजार 63 वोट हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस के चुनाव पर मैदान में उतरे निरुपम 3 लाख 9 हजार 735 वोट ही हासिल कर पाए थे।
कांग्रेस ने अब घोसालकर की बहु को उत्तर मुंबई से दिया चुनाव लड़ने का ऑफर
उत्तर मुंबई लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार को लेकर खोजबीन जारी है। शिवसेना (उद्धव) के पूर्व विधायक विनोद घोसालकर को उत्तर मुंबई सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर देने के बाद अब कांग्रेस ने घोसालकर की बहू तेजस्विनी घोसालकर को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। हालांकि घोसालकर परिवार उद्धव गुट को छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। विनोद घोसालकर ने माना कि उनकी बहू तेजस्विनी को कांग्रेस ने ऑफर दिया है, लेकिन मेरे बेटे अभिषेक की मृत्यु के बाद तेजस्विनी की प्राथमिकता परिवार को संभालना हो गई है। इसलिए उन्होंने अभी तक तेजस्विनी के चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। घोसालकर ने एक बार फिर कहा कि कांग्रेस के पास उत्तर मुंबई से चुनाव लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार नहीं है। इसलिए उन्हें यह सीट उद्धव गुट के लिए छोड़ देनी चाहिए।