बॉम्बे हाईकोर्ट: सरकार की मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना और युवक कार्य प्रशिक्षण योजना को चुनौती
- अदालत से दोनों योजनाओं पर रोक लगाने का अनुरोध
- याचिका में योजना से राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ने दावा
- अदालत ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार की 'मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना' और 'मुख्यमंत्री युवक कार्य प्रशिक्षण योजना' को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। एक जनहित याचिका दायर कर अदालत से दोनों योजना पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में इन योजनाओं से राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ने दावा किया गया है। अदालत ने शुक्रवार को याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। 6 अगस्त को मामले पर सुनवाई रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष नवी मुंबई में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नाविद अब्दुल सईद मुल्ला की ओर से वकील ओवेसी अनवर पेचकर द्वारा 'मुख्यमंत्री लाडली बहन' योजना के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया।वकील ओवेसी अनवर पेचकर ने दलील दी कि यह योजना को करदाताओं के पैसे की बर्बादी है। इससे राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। याचिका में सरकारी खजाने से 'लाडली बहना योजना' की पहली किस्त पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है, जिसे सरकार 14 अगस्त को जारी करने वाली है।
याचिका में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना में 21 से 60 साल की विवाहिता, विधवा, तलाकशुदा और बेवारिश महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने का वादा किया गया है। इसके तहत हर महिला को साल में 18000 रुपए मिलेंगे। इसके साथ 'मुख्यमंत्री युवक कार्य प्रशिक्षण' योजना के तहत 18 से 35 साल के युवाओं को 12वीं पास को 6 हजार रुपए, आरटीआई करने वाले को युवकों को 8 हजार और ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट को 10 हजार रुपए प्रति महीने देने का वादा किया गया है। इस योजना के लिए सरकार ने बजट में 4600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इन दोनों योजनाओं पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि हम इस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं कर सकता हैं। याचिका पर सुनवाई करने की इतनी जल्दी क्यों है? अदालत में 6 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करेगा।