बॉम्बे हाईकोर्ट: ओबीसी आरक्षण को चुनौती, बिना जांच 80 जातियों को शामिल किए जाने का विरोध

  • लगाई गई जनहित याचिका
  • ओबीसी आरक्षण में बिना जांच 80 जातियों को शामिल किए जाने का विरोध
  • अदालत ने हलफनामा नहीं दायर करने पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-07 14:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में मराठा आरक्षण को लेकर घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई है। इस बीच बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता बाला साहेब सराटे की वकील पूजा थोरात ने मंगलवार को अदालत से जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की और उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में सरकार ने इस मामले में हलफनामा तक दाखिल नहीं किया।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए सरकारी वकील ने जनहित याचिका की सुनवाई दीपावली के बाद रखने का आग्रह किया, तो अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले की अधिक समय तक टाल नहीं सकते है। खंडपीठ ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई रखी है। इस दौरान महाधिवक्ता डा.बीरेंद्र सराफ को मौजूद रहने का निर्देश दिया है।

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि बिना छानबीन की प्रक्रिया को पूरा किए ओबीसी आरक्षण में 80 जातियों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने पिछड़ी जातियों को आरक्षण देते समय सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया है। याचिका में ओबीसी आरक्षण का विरोध नहीं है, बल्कि बिना छानबीन और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किए के 80 जातियों को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने का विरोध है। इस वर्ग को 1967 में दिया गया 14 फीसदी आरक्षण 32 फीसदी तक पहुंच गया है। राज्य में जनसंख्या के हिसाब से ओबीसी आरक्षण ज्यादा है। याचिका में इस तरह के दिए गए आरक्षण को रद्द करने की मांग की गयी है।

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