बॉम्बे हाईकोर्ट: गोरेगांव के पहाड़ी में दो भवन निर्माताओं को बीएमसी की इमारत बनाने की इजाजत देने को चुनौती

  • वेटलैंड (आर्द्रभूमि) होने के कारण डेवलपमेंट की नहीं दी जा सकती इजाजत
  • जनहित याचिका में सीआरजेड का उल्लंघन कर दो भवन निर्माताओं को इमारत बनाने की इजाजत देने का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-13 16:23 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के गोरेगांव (प.) पहाड़ी स्थित वेटलैंड (आर्द्रभूमि) को सीआरजेड का उल्लंघन कर दो भवन निर्माता कंपनियों को इमारत बनाने की इजाजत देने को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसको लेकर सोमवार को जनहित याचिका दायर की गई। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि बीएमसी ने पहाड़ी के वेटलैंड (आर्द्रभूमि) को सीआरजेड का उल्लंघन कर डेवलप की इजाजत दी गई है। न्यायमूर्ति संदीप वी.मर्ने और न्यायमूर्ति डॉ.नीला केदार गोखले की हालीडे खंडपीठ के समक्ष पर्यावरण कार्यकर्ता जोरु भथेना की ओर से वकील रोनिता भट्टाचार्य ने सोमवार को जनहित याचिका दायर किया। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि गोरेगांव (प.) के पहाडी भूमि पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में आता है। बीएमसी के बिल्डिंग प्रपोजल डिपार्टमेंट ने सीआरजेड के नियमों का उल्लंघन कर इस भूमि पर दो भवन निर्माताओं को इमारत बनाने की इजाजत दी है। भवन निर्माताओं द्वारा वेटलैंड की भूमि की भरनी की जा रही है। जनहित याचिका में कोंकण वेटलैंड कमेटी द्वारा कार्रवाई करने और भवन निर्माताओं की गतिविधियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई 14 मई को रखी है।

केवल आरोप के आधार पर नियमित तरीके से व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती - बॉम्बे हाईकोर्ट

वहीं दूसरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी एक गंभीर मामला है। केवल अपराध करने के आरोप पर व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती, क्योंकि गिरफ्तारी से किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को भारी नुकसान हो सकता है। इसे केवल अपराध के आरोपों के आधार पर कार्यान्वित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा द्वारा दायर महेश देवचंद गाली की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में अनुचित देरी हुई, जिसे जीएसटी अधिकारी समझाने में विफल रहे। केंद्रीय उत्पादन शुल्क विभाग और केंद्रीय माल और सेवा कर (जीएसटी) ने याचिकाकर्ता को इस साल 13 मार्च को दोपहर 1.30 बजे जीएसटी अधिनियम के उल्लंघन एक मामले के जीएसटी कार्यालय में बुलाया। उन्हें रात भर पूछताछ के नाम पर बैठाया गया और दूसरे दिन 14 मार्च को शाम 7.30 बजे गिरफ्तार किया गया। खंडपीठ ने कहा कि हम किसी व्यक्ति को उसके बयान दर्ज करने की आड़ में रात भर हिरासत में रखने की प्रथा की निंदा करते हैं, भले ही व्यक्ति ने स्वेच्छा से ऐसा किया हो या नहीं। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत दे दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 जून को रखी गई है।





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