अदालत: बॉम्बे हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई न होने पर लिया स्वत: संज्ञान

  • विचाराधीन कैदियों की रिहाई नहीं
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
  • राज्य सरकार को 31 मार्च 2024 से पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) सुविधाओं के लिए पास बजट का उपयोग करने का निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-15 14:29 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को विभिन्न चरणों में उचित अदालतों के समक्ष पेश न करने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया। अदालत ने राज्य सरकार को 31 मार्च से पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) की सुविधाओं के लिए बजट का उपयोग करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे एक पीठ ने आरोपी त्रिभुवन सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया कि अंधेरी में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष 23 तारीखों पर भौतिक रूप से या वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से पेश नहीं किया गया था। सुनवाई के दौरान सरकारी वकी एस.आर.अगरकर ने अदालत को बताया कि गृह विभाग द्वारा 28 नवंबर को सरकारी संकल्प पेश किया गया। प्रस्ताव में 5 करोड़ 33 लाख 16 हजार 753 रुपए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के लिए स्थापित करने, कैमरे, एम्पलीफायर, ऑडियो इंटरफ़ेस और केबल समेत आवश्यक बुनियादी ढांचे के लिए बजट है।

अदालत ने राज्य सरकार को राज्य भर की जेलों और अदालतों में वीसी सुविधाओं का विस्तार करने के लिए आवश्यक धन आवंटित करने का निर्देश दिया था। इस पर संयुक्त रूप से तैयार की गई एक विस्तृत रिपोर्ट 20 दिसंबर 2023 तक प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है। याचिकाकर्ता के वकील विनोद काशिद ने तर्क दिया कि आरोपी धारा 437(6) के तहत रिहाई की मांग कर सकता है। काशिद ने जमानत लेने की छूट के साथ वर्तमान जमानत अर्जी वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और वर्तमान जमानत आवेदन का निपटारा कर दिया।

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