अत्याचार अधिनियम का मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एएसजी, महाधिवक्ता और नियुक्त एमिकस क्यूरी से मांगे विचार
- बड़ी बेंच को भेजे गए अत्याचार अधिनियम का मामला
- महाधिवक्ता और नियुक्त एमिकस क्यूरी से मांगे विचार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेजे गए अत्याचार अधिनियम के तहत मुद्दे पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल(एएसजी), महाधिवक्ता और नियुक्त एमिकस क्यूरी से विचार मांगे हैं। अदालत ने उनसे 15 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई पर विचार रखने का अनुरोध किया है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने कहा कि इस पीठ को निर्णय के लिए जिन मुद्दों को भेजा गया है, हम उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए एएसजी से अगली तारीख पर अदालत के समक्ष विचार रखने का अनुरोध करते हैं। हम महाधिवक्ता से भी इस मामले में सहयोग देने का अनुरोध करते हैं। अदालत ने वकील मयूर खांडेपार्कर को भी सहायता के लिए एमिकस क्यूरी (अदालत मित्र) नियुक्त किया है।
तत्कालीन न्यायमूर्ति साधना जाधव की एकल न्यायाधीश पीठ ने विशेष अधिनियम के तहत आरोपी तीन डॉक्टरों को अगस्त 2019 में जमानत देने और मई 2019 में नायर अस्पताल में अपने जूनियर डॉ.पायल तड़वी की आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में तीन कानूनी मुद्दों को खंडपीठ के पास भेजा था। यह मुद्दा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 15 (ए) (10) के तहत कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग के प्रावधानों और पीड़ितों एवं गवाहों के अधिकारों से संबंधित है। इस अधिनियम के तहत अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।
तीनों की जमानत याचिका पर डॉ. तड़वी की मां अबेदा तड़वी के वकील गुणरत्न सदावर्ते ने वीडियो रिकॉर्डिंग का मुद्दा उठाया था। उन्होंने हस्तक्षेप किया था और कहा था कि विशेष कानून के तहत न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग पर विचार करने वाला प्रावधान अनिवार्य था और जमानत से जुड़ी हर कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए। आरोपी डॉक्टरों के वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने कहा कि यह प्रावधान मुकदमे के ट्रायल स्टेज में लागू हो सकता है। जमानत की सुनवाई के लिए न