हेमा उपाध्याय हत्याकांड: बॉम्बे हाईकोर्ट ने चिंतन उपाध्याय को जमानत देने से किया इनकार
- चिंतन उपाध्याय को जमानत देने से इनकार
- हेमा उपाध्याय हत्याकांड मामला
- अदालत ने पाया कि चिंतन के हत्या में संलिप्तता के पर्याप्त सबूत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी पूर्व पत्नी हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरेश भंभानी की हत्या की साजिश रचने के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कलाकार चिंतन उपाध्याय को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने सोमवार को उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दी। चिंतन ने अपनी जमानत याचिका में अपील के लंबित रहने तक जमानत की मांग की थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष चिंतन उपाध्याय की ओर से वकील भरत मंघानी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि चिंतन की पत्नी हेमा उपाध्याय और उनके वकील की हत्या में संलिप्तता के पर्याप्त आधार हैं। चिंतन के वकील अमित देसाई ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ न्यूनतम सबूत थे, जिस पर सत्र न्यायाधीश को विचार करना चाहिए था। अतिरिक्त लोक अभियोजक जयेश याग्निक और अधिवक्ता अनिल लाला ने राज्य और भंभानी के परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए गवाहों के बयानों सहित चिंतन के खिलाफ कई सबूत पेश किए। दिंडोशी कोर्ट ने इन्ही सबूतों के आधार पर चिंतन उपाध्याय सहित चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
कलाकार हेमा उपाध्याय और उनके वकील भंभानी की 12 दिसंबर 2015 को कथित तौर पर गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। फिर उनके शवों को कार्डबोर्ड बक्से में पैक किया गया और उपनगरीय मुंबई के कांदिवली इलाके में एक नाले में फेंक दिया गया। एक कूड़ा बीनने वाले ने शवों की खोज की, जिससे मामले की जांच शुरू हुई थी।