बॉम्बे हाई कोर्ट ने: सरकारी अस्पतालों के बजट को खर्च नहीं करने पर राज्य सरकार को लगाई फटकार
- नांदेड़ सरकारी अस्पताल में मौंतों का मामला
- सरकार को 1 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों के बजट को खर्च नहीं करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने 1 फरवरी 2024 तक सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। हलफनामे में बजट के उपयोग का विवरण और राज्य भर के अस्पतालों की मांगों को कैसे पूरा करने की योजना है? इसका विवरण दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार नांदेड़ के डॉ.शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में एक साथ हुई कई मौतों पर स्वत: संज्ञान लेने समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर समेत नर्सों के पदों की रिक्तियां, उपकरण और दवा की कमी की जानकारी सामने आयी। अदालत ने दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए आवंटित पूरे बजट का उपयोग करने में सरकार की विफलता पर चिंता जताई। अदालत ने सरकार की चिंताजनक प्रवृत्ति पर गौर किया, जिसमें आवंटित बजट पूरी तरह से खर्च नहीं किया गया था।
अदालत ने बजट के आवंटन के समुचित उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यदि आप ने बजट आवंटन किया है, तो इसे खर्च करने की आवश्यकता है। यदि बजट दो रुपए है, तो केवल डेढ़ रुपए ही खर्च किए जाते हैं। यह इन दिनों एक नई प्रवृत्ति है। जहां पैसा बिना खर्च किए पड़ा रहता है। महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि महाराष्ट्र औषधि खरीद प्राधिकरण में एक मुख्य कार्यकारी चिकित्सा अधिकारी नियुक्त किया गया है। जबकि दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है। यह पूरी प्रक्रिया इस साल फरवरी के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।