पात्रा चॉल मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस.जी.डिगे ने ईडी की याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग
- ईडी की याचिका में संजय राउत की जमानत रद्द करने की मांग
- गोरेगांव के पात्रा चाल के 627 किरायेदारों से धोखाधड़ी का मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने सोमवार को पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना मामले में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत और उनके सहयोगी प्रवीण राउत की जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। एक विशेष पीएमएलए अदालत ने पिछले साल 9 नवंबर संजय राउत और प्रवीण राउत को जमानत दे दी थी।
न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने सोमवार को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अदालत ने आदेश में कहा कि उस पीठ के समक्ष सुनवाई नहीं होगी, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति डिगे हैं। ईडी अपनी याचिका पर सुनवाई के लिए नई या वैकल्पिक पीठ नियुक्त करने के लिए मुख्य न्यायाधीश से संपर्क करेगी।
पिछले साल 25 नवंबर को न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इस साल फरवरी में न्यायमूर्ति नितिन आर.बोरकर ने मामले में सुनवाई शुरू की थी और ईडी से पूछा था कि उसने मामले के दो मुख्य आरोपियों हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रमोटर राकेश और सारंग वधावन की हिरासत क्यों नहीं मांगी थी। ईडी ने कहा था कि दोनों कुछ अन्य अपराधों के लिए न्यायिक हिरासत में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। यह कहते हुए कि उनके बयान ईडी द्वारा दर्ज किए गए हैं। ईडी ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं थी और उन्हें मामले में आरोपपत्र दिया गया है।
इसके बाद इस साल मार्च से असाइनमेंट में बदलाव के साथ मामला न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई के सामने आया, जो सुनवाई समाप्त नहीं कर सकीं। 21 अगस्त को न्यायमूर्ति डिगे ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई की और उस पर रिकॉर्ड और कार्यवाही की मांग की थी।
पिछले दिनों न्यायमूर्ति अनुजा प्रभूदेसाई के एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अनिल सिंह ने विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा संजय राउत और प्रवीण राउत को जमानत दिए जाने पर सवाल उठाए था। उन्होंने उस समय दलील दी थी कि 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) ने रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 672 किराएदारों का पुनर्वास और इलाके के विकास का ठेका दिया था। संजय राउत के करीबी सहयोगी प्रवीण राउत और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य निदेशकों ने म्हाडा को गुमराह किया और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) को 9 अलग-अलग निजी डेवलपर को 901.79 करोड़ रुपए बेच दिया। यह पैसा प्रवीन रावत के विभिन्न बैंक खातों में आया था। इसके साथ फ्लैट खरीदारों से लगभग 138 करोड़ रुपए की बुकिंग राशि ली गई।