बॉम्बे हाई कोर्ट ने दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच महाराष्ट्र डिवीजन स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण को सौंपी
- दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच
- जांच महाराष्ट्र डिवीजन स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण को सौंपी
- अदालत ने पुलिस उपायुक्त के आदेश को किया रद्द
- दो बिल्डर भाइयों से 25 लाख रिश्वत मांगने का आरोप
- रिश्वत देने से इनकार करने पर पुलिस ने दोनों भाई के खिलाफ की थी कार्रवाई
- -अदालत में दायर याचिका में की गई थी जांच की मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने दक्षिण मुंबई के दो बिल्डर भाइयों से 25 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले की जांच महाराष्ट्र डिवीजन स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण को सौंप दिया है। अदालत ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्होंने चार्जशीट फाइल होने का हवाला देते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच नहीं करने की बात कही थी। वर्ली पुलिस ने बिल्डर भाईयों के रिश्वत की देने से इनकार करने पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी और ट्रेस पास का मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को आरबीके रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक रशीद खान और बशीर खान की ओर से वकील जितेंद्र मिश्रा की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील मिश्रा ने अदालत में दलील दी कि साल 2018 में अदालत के आदेश पर वर्ली पुलिस स्टेशन के तत्कालीन पुलिस उप निरीक्षक अमीत एल.पवार और एस.एल.बिरंजे के खिलाफ बिल्डर भाइयों से 25 लाख रुपए रिश्वत के मामले की परिमंडल-5 के तत्कालीन डीसीपी को जांच सौंपी गई थी। अदालत ने उस समय जांच सौंपने के साथ ही याचिका को समाप्त कर दी थी.
डीसीपी ने उस मामले की जांच के बाद अपने आदेश में कहा कि वरली पुलिस ने 28 दिसंबर 2015 को बिल्डर रशीद खान और वसीर खान के खिलाफ धोखाधड़ी और ट्रेस पास का मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था। इस मामले में दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दी गयी है। इसलिए इस मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच नहीं की जा सकती है। इसके बाद बिल्डर भाइयों ने दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर डीसीपी के आदेश को चुनौती दी