बॉम्बे हाईकोर्ट: ब्रह्माकुमारी के गार्डनों में अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने पर बीएमसी को फटकार
- अदालत के आदेश पर बीएमसी के नहीं अमल करने का आरोप
- जनहित याचिका में 12 उद्यान से ब्रह्माकुमारी के अवैध निर्माण हटाने और धार्मिक गतिविधियों को रोकने का अनुरोध
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने वर्ल्ड रिन्यूअल स्पिरिचुअल ट्रस्ट उर्फ ब्रह्माकुमारी द्वारा गोद लिए मुंबई के 12 उद्यानों में अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को फटकार लगाई। अदालत ने बीएमसी को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी कैप्टन हरेश गगलानी की ओर से वकील प्रशांत पांडे और वकील इरफान उनवाला की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता गगलानी के वकील प्रशांत पांडे ने दलील दी कि बीएमसी ने बगीचे के दुरुपयोग और उससे करों की वसूली के लिए वर्ल्ड रिन्यूअल स्पिरिचुअल ट्रस्ट (ब्रह्माकुमारी) के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। बीएमसी ने अपने हलफनामा में दावा किया है कि ब्रह्माकुमारी को गोद दिए गए सभी उद्यान को वापस ले लिया गया है, लेकिन उन उद्यानों में संस्था की न केवल धार्मिक गतिविधियां चल रही है, बल्कि वहां अवैध निर्माण भी किया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि ट्रस्ट को 1 रुपए प्रति बाग के वार्षिक पट्टे पर 12 बगीचे दिए गए थे। पट्टे की अवधि समाप्त होने के बावजूद ट्रस्ट के पास इन उद्यानों भूमियों पर अवैध कब्जा किया गया है। ट्रस्ट ने इन उद्यानों में स्थायी संरचनाओं का निर्माण किया है। आम जनता को इन उद्यानों में प्रवेश से वंचित कर दिया गया है। खंडपीठ ने बीएमसी को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 25 जून को रखी गई है।
ब्रम्हाकुमारी के मीडिया एवं जनसंपर्क अध्यक्ष और राजयोगी निकुंज ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा गोद लिए गए सभी उद्योनों को बीएमसी को सौंप दिया गया है। उनके ट्रस्ट की ओर से घाटकोपर (पूर्व) पंतनगर के अत्रे मैदान को छोड़ कर गोद लिए गए किसी भी उद्यान में कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया गया है। अत्रे मैदान को लेकर 2014 के अदालत में मामला चल रहा है।