मुंबई: गुजराती बनाम मराठी की लड़ाई में दांव पर भाजपा और शिवसेना उद्धव की प्रतिष्ठा

  • लोकसभा की उत्तर-पूर्व मुंबई सीट पर जोरदार टक्कर
  • भाजपा के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा और शिवसेना (उद्धव) के उम्मीदवार संजय दिना पाटील के बीच मुकाबला
  • चुनावी लड़ाई गुजराती बनाम मराठी में बदलती नजर आ रही

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-07 13:23 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार| लोकसभा की उत्तर-पूर्व मुंबई सीट पर भाजपा के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा और शिवसेना (उद्धव) के उम्मीदवार संजय दिना पाटील के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा उम्मीदवार कोटेचा गुजराती समाज से आते हैं, जबकि पाटील मराठी भाषी हैं। इससे इस बार की चुनावी लड़ाई गुजराती बनाम मराठी में बदलती नजर आ रही है। इस कारण भाजपा और शिवसेना (उद्धव) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। शिवसेना में हुई टूट के बीच यह पहला मौका है, जब शिवसेना (उद्धव) उत्तर-पूर्व मुंबई सीट पर चुनाव लड़ रही है। उत्तर-पूर्व मुंबई सीट आमतौर पर भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। इससे भाजपा के गढ़ में शिवसेना (उद्धव) के सामने सेंध लगाने की बड़ी चुनौती होगी। भाजपा उम्मीदवार कोटेचा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू पर भरोसा है, जबकि शिवसेना (उद्धव) के प्रत्याशी पाटील को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रति मराठी भाषियों की नजर आ रही सहानुभूति का फायदा मिलने की उम्मीद है। हालांकि इस बार के चुनाव में कोटेचा और पाटील के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार हैं। साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी। इससे यदि भाजपा इस चुनाव में सफल होती है तो जीत की हैट्रिक लगाएगी, जबकि शिवसेना (उद्धव) के सामने पहली बार इस सीट पर खाता खोलने की चुनौती होगी।

दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के चुनावी वादे


 



मिहिर कोटेचा (भाजपा)

नाहूर की रेलवे जमीन पर कोंकण वासियों के सहूलियत के लिए नया मुलुंड टर्मिनस बनाएंगे।

विक्रोली और मानखुर्द का डंपिंग ग्राउंड स्थायी रूप बंद करेंगे।

धारावी पुनर्विकास योजना के परियोजना प्रभावितों को मुलुंड (पूर्व) में बसाए जाने का विरोध रहेगा।

उत्तर-पूर्व मुंबई क्षेत्र को झोपड़पट्टी मुक्त बनाएंगे। झोपड़पट्टी वासियों का पुनर्वसन उनसे आसपास के परिसर में करेंगे।



संजय पाटील (शिवसेना उद्धव)

कोंकण वासियों के लिए उपनगरीय भांडुप रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव का प्रबंध करेंगे।

उत्तर-पूर्व मुंबई क्षेत्र के सभी डंपिंग ग्राउंड को बंद करेंगे।

धारावी पुनर्विकास योजना के तहत परियोजना प्रभावितों को मुलुंड (पूर्व) में पुनर्वसन करने का विरोध करेंगे।

उत्तर-पूर्व मुंबई क्षेत्र के इलाकों को झोपड़पट्टी मुक्त बनाएंगे।

पहली बार मैदान में उद्धव की शिवसेना

मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से केवल उत्तर-पूर्व मुंबई ऐसी सीट है, जहां पर भाजपा और शिवसेना (उद्धव) गुट सीधे आमने-सामने है। बाकी पांच में तीन सीटों पर शिवसेना (शिंदे) और शिवसेना (उद्धव) और दो सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर है। भाजपा और शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन के समय उत्तर-पूर्व सीट पर हमेशा भाजपा का उम्मीदवार रहा है, जबकि कांग्रेस और राकांपा की आघाडी में इस सीट पर साल 2009 से लगातार पिछले तीन चुनावों में राकांपा (अविभाजित) लड़ती रही है। इससे पहले कांग्रेस के उम्मीदवार इस सीट पर लड़ते थे।

किस समाज के कितने वोटर

मराठी                             7,26000

गुजराती और मारवाड़ी       2,10000

मुस्लिम                          2,73000

उत्तर भारतीय                 2,41,000

दक्षिण भारतीय                   94000

अन्य                                92,890

कुल                             16,36,890

उत्तर-पूर्व सीट पर अब तक के लोस सदस्य

वर्ष     विजेता पार्टी

1977 सुब्रमण्यम स्वामी भारतीय लोकदल (बीएलडी)

1980 सुब्रमण्यम स्वामी जनता पार्टी (जेएनपी)

1984 गुरुदास कामत कांग्रेस

1989 जयवंतीबेन मेहता भाजपा

1991 गुरुदास कामत कांग्रेस

1996 प्रमोद महाजन भाजपा

1998 गुरुदास कामत कांग्रेस

1999 किरीट सोमैया भाजपा

2004 गुरुदास कामत कांग्रेस

2009 संजय दिना पाटील राकांपा (अविभाजित)

2014 किरीट सोमैया भाजपा

2019 मनोज कोटेक भाजपा

गुजराती, मराठी और मुस्लिम वोटर करेंगे भाग्य का फैसला

उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली तीन विधानसभा सीट मुलुंड, घाटकोपर पूर्व और घाटकोपर पश्चिम में गुजराती समाज के वोटर निर्णायक माने जाते हैं। बाकी तीन विधानसभा क्षेत्रों में से विक्रोली और भांडुप में मराठी और मानखुर्द-शिवाजी नगर में मुस्लिम समाज के मतदाताओं की भूमिका उम्मीदवारों के जीत और हार में अहम होती है। भांडुप और विक्रोली में बड़े पैमाने पर मराठी भाषी वोटर हैं, जो मूल रूप से कोंकण अंचल के हैं। इस सीट पर गुजराती बनाम मराठी की लड़ाई के बीच अलग-अलग मुद्दों को लेकर ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है। 

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