देश में गिद्ध संरक्षण के लिए बड़ा कदम- एसिक्लोफेनाक और केटोप्रोफेन के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध की सिफारिश
- गिद्धों के लिए हानिकारक साबित
- एसिक्लोफेनाक और केटोप्रोफेन के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध की सिफारिश
- बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। गिद्धों के लिए हानिकारक साबित होने वाली पशु चिकित्सा दवाओं केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक के उपयोग, बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने की है। इन दवाओं के प्रतिबंध की सिफारिश से गिद्ध संरक्षण के हित में काम करनेवाली बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) को बड़ी सफलता मिली है। भारत सरकार द्वारा गिद्धों को बचाने के लिए वर्ष 2006 में पशु चिकित्सा उपयोग में आनेवाली डाइक्लोफेनाक पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है।
ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड नई दिल्ली ने 10 मई 2023 को हुई अपनी बैठक में पशु चिकित्सा दवाओं केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। वर्ष 2022-23 के दौरान, संरक्षण नीति घटक के माध्यम से, बीएनएचएस ने वैज्ञानिक सबूतों, संवैधानिक और कानूनी पृष्ठभूमि का सारांश देते हुए एक विस्तृत डोजियर तैयार किया था। इसके आधार पर सक्षम अधिकारी और नीति निर्माता पशु चिकित्सा दवाओं को लेकर सूचित कार्रवाई कर सकते हैं। इसी के तहत बीएनएचएस ने वर्ष 2022 में डोजियर को आधिकारिक तौर पर वन्यजीव पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेश किया था। इसके बाद मंत्रालय ने भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से इस डोजियर पर अपनी रिपोर्ट मांगी थी जिस पर दोनों संस्थानों ने डोजियर का समर्थन किया था।
माना आभार
बीएनएचएस के अंतरिम निदेशक और मानद सचिव किशोर रिठे ने इस महत्वपूर्ण कदम को उठाने के लिए ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड नई दिल्ली का आभार माना है। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत में गिद्ध को बचाने में मददगार साबित होगा।बीएनएचएस के अध्यक्ष प्रवीण परदेशी ने इस महान उपलब्धि के लिए बीएनएचएस गिद्ध संरक्षण नीति टीम और जटाउ संरक्षण की पहल के लिए केंद्र सरकार को बधाई दी।